गुरुवार, 19 मार्च 2009
ग्वालियर में सीबीआई का छापा
भोपाल । ग्वालियर में गुरुवार को सीबीआई ने पाच हजार रुपए घुस लेते ही एक स्माल उद्योग के अधिकारी को पकर है । बताया जा रहा है की अधिकारी शर्मा उद्योग की बेहतर रिपोर्ट बनवाने के लिए पाच हजार रुपए मांग रहा था।
विधानसभा सत्र समाप्त, लेखा अनुदान पास
भोपाल गुरुवार को विधानसभा सत्र समाप्त हो गया । इसमे बीजेपी ने १०१५ करोएर का बजट पेश की। अब आचार संहिता के बाद ही फिर से विधानसभा सत्र बुलाया जायेगा ।
सतना में १३ लोगो को जिंदा जलाया, डीजीपी और आईजी रवाना
भोपाल सतना में बुधवार की रात को एक ही परिवार के १३ लोगो जिंदा जला दिया गया है सूत्रों के अनुसार वह पुलिस का मुख्वीर था इसलिय उसके परिवार सहित उसको जला दिया गया है इसके पीछे
दो डकेत गुट के होंने की सम्भावना जतायी जा रही है। फिल हाल डीजीपी रावत और आईजी संजय कुमार सिंह पूरे मामले की जाच करने गए है
दो डकेत गुट के होंने की सम्भावना जतायी जा रही है। फिल हाल डीजीपी रावत और आईजी संजय कुमार सिंह पूरे मामले की जाच करने गए है
शनिवार, 28 फ़रवरी 2009
मानव तस्करी में महिलाओं की भूमिका प्रमुख
मानव तस्करी में महिलाएं अप्रत्याशित रूप से अहम भूमिका निभा रही हैं। इनमें ज्यादातर ऐसी ही महिलाएं शामिल होती हैं जो खुद इसका शिकार रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
यूनाइटेड नेशंस आफिस आन ड्रग्स एंड क्राइम्स [यूएनओडीओसी] के मुताबिक सूचना उपलब्ध कराने वाले 30 प्रतिशत देशों में मानव तस्करी में महिलाओं की भागीदारी आश्चर्यजनक रूप से सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक पूर्वी यूरोप और मध्य एशियाई देशों में मानव तस्करी के 60 प्रतिशत मामलों में महिलाएं जिम्मेदार होती हैं।
यूएनओडीओसी प्रमुख एंटोनियो मारिया कोस्टा ने बताया कि इन क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा महिलाओं की तस्करी आम बात है। हैरानी की बात तो यह है कि मानव तस्करी के शिकार हुए लोग ही तस्कर बन गए हैं। इसके मनोवैज्ञानिक, वित्ताीय के कारणों को समझने की जरूरत है जिससे यह पता लग सके कि क्यों महिलाएं ही अन्य महिलाओं को इस गर्त में धकेलती हैं। कोस्टा कहते हैं, 'बदले की भावना इसकी एक वजह हो सकती है।'
मानव तस्करी का जाल कहां तक फैला है इसका पता लगाने के लिए यूएनओडीओसी ने 155 देशों से सूचनाएं जुटाई। इसके मुताबिक अभी भी दुनिया के ज्यादातर भाग में मानव तस्करी से जुड़े मामलों में वृद्धि हो रही है।
यूनाइटेड नेशंस आफिस आन ड्रग्स एंड क्राइम्स [यूएनओडीओसी] के मुताबिक सूचना उपलब्ध कराने वाले 30 प्रतिशत देशों में मानव तस्करी में महिलाओं की भागीदारी आश्चर्यजनक रूप से सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक पूर्वी यूरोप और मध्य एशियाई देशों में मानव तस्करी के 60 प्रतिशत मामलों में महिलाएं जिम्मेदार होती हैं।
यूएनओडीओसी प्रमुख एंटोनियो मारिया कोस्टा ने बताया कि इन क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा महिलाओं की तस्करी आम बात है। हैरानी की बात तो यह है कि मानव तस्करी के शिकार हुए लोग ही तस्कर बन गए हैं। इसके मनोवैज्ञानिक, वित्ताीय के कारणों को समझने की जरूरत है जिससे यह पता लग सके कि क्यों महिलाएं ही अन्य महिलाओं को इस गर्त में धकेलती हैं। कोस्टा कहते हैं, 'बदले की भावना इसकी एक वजह हो सकती है।'
मानव तस्करी का जाल कहां तक फैला है इसका पता लगाने के लिए यूएनओडीओसी ने 155 देशों से सूचनाएं जुटाई। इसके मुताबिक अभी भी दुनिया के ज्यादातर भाग में मानव तस्करी से जुड़े मामलों में वृद्धि हो रही है।
पाक से भारत में हेरोइन की तस्करी में इजाफा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में हेरोइन की तस्करी में पिछले दो सालों में इजाफा हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार तस्करी करने के आरोप में अक्सर पश्चिम अफ्रीकी नागरिक पकड़े जाते रहे है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में नॉरकोटिक्स विभाग में सहायक मंत्री इंडेविड टी.थॉमसन ने शुक्रवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि मादक पदार्थो की तस्करी का चलन बढ़ सकता है क्योंकि व्यापार और यात्रा में वृद्धि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खुल गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गत कुछ वर्षो में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थो की बरामदगी की घटनाएं ज्यादा नहीं हुई लेकिन छोटे स्तर पर तस्करी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफीम और भांग जैसे मादक पदार्थ भारतीय बाजार में नेपाल के रास्ते पहुंच रहे है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में भारत में 2,226 किलोग्राम अफीम जब्त की गई थी, वहीं 30 सितंबर 2008 तक भारत सरकार ने 643 किलोग्राम अफीम जब्त की थी।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में नॉरकोटिक्स विभाग में सहायक मंत्री इंडेविड टी.थॉमसन ने शुक्रवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि मादक पदार्थो की तस्करी का चलन बढ़ सकता है क्योंकि व्यापार और यात्रा में वृद्धि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खुल गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गत कुछ वर्षो में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थो की बरामदगी की घटनाएं ज्यादा नहीं हुई लेकिन छोटे स्तर पर तस्करी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफीम और भांग जैसे मादक पदार्थ भारतीय बाजार में नेपाल के रास्ते पहुंच रहे है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में भारत में 2,226 किलोग्राम अफीम जब्त की गई थी, वहीं 30 सितंबर 2008 तक भारत सरकार ने 643 किलोग्राम अफीम जब्त की थी।
अंतिम संस्कार के बीच मधुमखियों का हमला
सतना/भोपाल। मध्यप्रदेश में सतना जिले के एक गांव में एक वृद्ध का अंतिम संस्कार करने पहुंचे लोगों पर कल मधुमखियों ने हमला कर दिया। करीब दो घंटे बाद चादरें ओढ़कर लोगों ने अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी की।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र के गलबल गांव में 65 वर्षीय राजबहादुर पाण्डेय की मंगलवार की रात मृत्यु हो गयी
थी। कल गांव के बाहर एक बगीचे के निकट उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की गयी थीं। उन्होंने बताया कि जैसे ही चिता से धुंआ उठना
शुरू हुआ तो बगीचे बैठी मधुमखियों ने अंतिम संस्कार के लिये जमा हुए लोगों पर हमला कर दिया, जिससे घबराकर लोग शव को जलता
छोड़ जान बचाकर भाग निकले। करीब दो घंटे बाद परिवार के लोगों ने चादरें ओढ़कर अंतिम संस्कार की रस्मे पूरी कीं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र के गलबल गांव में 65 वर्षीय राजबहादुर पाण्डेय की मंगलवार की रात मृत्यु हो गयी
थी। कल गांव के बाहर एक बगीचे के निकट उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की गयी थीं। उन्होंने बताया कि जैसे ही चिता से धुंआ उठना
शुरू हुआ तो बगीचे बैठी मधुमखियों ने अंतिम संस्कार के लिये जमा हुए लोगों पर हमला कर दिया, जिससे घबराकर लोग शव को जलता
छोड़ जान बचाकर भाग निकले। करीब दो घंटे बाद परिवार के लोगों ने चादरें ओढ़कर अंतिम संस्कार की रस्मे पूरी कीं।
एक करोड़ की फिरौती के लिये अपहृत बालक रिहा हुआ
दमोह/भोपाल। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक विवाह समारोह में शामिल होने आये एक परिवार से एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगने के लिये अपहृत किया गया बालक पुलिस की नाकेबंदी
के कारण रिहा कर दिया गया।
नगर पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल ने बताया कि शहर के जे.पी.बी. कन्या शाला में बुधवार को सागर से चौरसिया परिवार विवाह समारोह में शामिल होने आया था। रात में विवाह समारोह में शामिल होने के के दौरान 11 वर्षीय अमन का तीन अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर लिया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा घेराबंदी कर ली। पुलिस घेराबंदी देखकर अपहरणकर्ता जिले के हटा क्षेत्र में बालक को छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर
लिया।
के कारण रिहा कर दिया गया।
नगर पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल ने बताया कि शहर के जे.पी.बी. कन्या शाला में बुधवार को सागर से चौरसिया परिवार विवाह समारोह में शामिल होने आया था। रात में विवाह समारोह में शामिल होने के के दौरान 11 वर्षीय अमन का तीन अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर लिया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा घेराबंदी कर ली। पुलिस घेराबंदी देखकर अपहरणकर्ता जिले के हटा क्षेत्र में बालक को छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर
लिया।
पीडब्लूडी इंजीनियर के यहां आयकर का छापा
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग में पदस्थ एक कार्यपालन इंजीनियर के यहां कल शाम आयकर विभाग ने छापा मारा। आज दिनभर चली छापे की कार्रवाई के दौरान इंजीनियर एवं उनकी पत्नी के आय के ज्ञात स्त्रोतों से काफी अधिक नकद, बीमा पालिसी, बैंक बैलेंस एवं संपत्ति का पता चला।
विभागीय सूत्रों ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती जांच-पड़ताल में इस इंजीनियर और उसके परिजनों के बैंक खातों में करीब सवा करोड़ रुपए के बैंक ड्राफ्ट और चेक जमा होने का खुलासा हुआ है।
पत्नी के नाम पर लाखों की बीमा पालिसी है। इस कार्यवाही में मिले दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति मिलने की संभावना है।
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की टीम ने कल इस कार्यपालन इंजीनियर कोलार रोड के फार्च्यून स्टेट स्थित निवास पर छापे की कार्रवाई की। उनके पास लोक निर्माण विभाग में भोपाल शहर के सर्किल दो के अधीक्षण यंत्री का प्रभार भी हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पीडब्लूडी के कार्यपालन इंजीनियर के यहां इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें बैंक पास बुक और उसका स्टेटमेंट शामिल हैं और इसमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र है।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर के पास से तीन लाख रुपए नकद और लाखों रुपए की बीमा पालिसियां, बांड, डिबेंचर आयकर अधिकारियों के हाथ लगे। तीन बैंक खातों में क्रमश: आठ लाख, पांच लाख और तीन लाख रुपए जमा हैं।
इसके अलावा एक लाकर मिला है, जिसके बारे में इंजीनियर ने स्वीकार किया है कि इसमें भी नकद राशि एवं जेवरात हैं। इसके साथ ही अनेक स्थानों पर एक करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की चल-अचल संपत्ति के कागजात भी सामने आए हैं।
विभागीय सूत्रों ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती जांच-पड़ताल में इस इंजीनियर और उसके परिजनों के बैंक खातों में करीब सवा करोड़ रुपए के बैंक ड्राफ्ट और चेक जमा होने का खुलासा हुआ है।
पत्नी के नाम पर लाखों की बीमा पालिसी है। इस कार्यवाही में मिले दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति मिलने की संभावना है।
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की टीम ने कल इस कार्यपालन इंजीनियर कोलार रोड के फार्च्यून स्टेट स्थित निवास पर छापे की कार्रवाई की। उनके पास लोक निर्माण विभाग में भोपाल शहर के सर्किल दो के अधीक्षण यंत्री का प्रभार भी हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पीडब्लूडी के कार्यपालन इंजीनियर के यहां इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें बैंक पास बुक और उसका स्टेटमेंट शामिल हैं और इसमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र है।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर के पास से तीन लाख रुपए नकद और लाखों रुपए की बीमा पालिसियां, बांड, डिबेंचर आयकर अधिकारियों के हाथ लगे। तीन बैंक खातों में क्रमश: आठ लाख, पांच लाख और तीन लाख रुपए जमा हैं।
इसके अलावा एक लाकर मिला है, जिसके बारे में इंजीनियर ने स्वीकार किया है कि इसमें भी नकद राशि एवं जेवरात हैं। इसके साथ ही अनेक स्थानों पर एक करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की चल-अचल संपत्ति के कागजात भी सामने आए हैं।
सोमवार, 2 फ़रवरी 2009
गोधरा दंगे: गुजरात की मंत्री फरार घोषित
गोधरा काड के बाद भड़के गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में विशेष जाच दल ने गुजरात सरकार की महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री माया बेन कोडनानी और विहिप नेता जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर दिया है।
गुजरात सरकार और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस मुद्दे का गरमाना मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने राजनीतिक विरोधियों पर पलटवार का एक और मौका दे जाएगा।
गुजरात दंगों की जाच के लिए गठित विशेष जाच दल के समक्ष गवाहों ने नरोड़ा गाम दंगे में कोडनानी और विहिप नेता जयदीप के लिप्त होने का आरोप लगाया था। गत दिसंबर में एसआईटी ने इन दोनों से पूछताछ की थी। इसमें कोडनानी ने बताया था कि वह 28 फरवरी की इस घटना के दिन सरकारी अस्पताल में भर्ती थीं। एसआईटी के एक अधिकारी के अनुसार जाच के बाद एसआईटी ने 29 व 31 जनवरी को उन्हें फिर हाजिर होने के लिए समन भेजा। लेकिन, गांधीनगर मंत्री आवास और अहमदाबाद स्थित घर पर उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस दौरान मंत्री का मोबाइल भी बंद होने के कारण उनके पूछताछ नहीं हो सकी। एसआईटी ने सोमवार को कोडनानी और जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर उनकी तलाश तेज कर दी है।
उधर, मंत्री के कार्यालय से संपर्क करने पर पता चला कि वे वलसाड जिले में महिला सम्मेलनों में व्यस्त है। बचाव पक्ष के वकील मीतेश अमीन ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात दंगों के दौरान नरोड़ा गाम में 28 फरवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आरोप पत्र में माया बेन समेत 24 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की थी। माया बेन नरोड़ा विधानसभा से तीन बार विधायक चुनी गई है। इस मामले की जाच एसआईटी कर रही है। जाच टीम का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर. के. राघवन इस समिति के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सी. डी. सत्पथी समेत गुजरात कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस इसके सदस्य है।
गुजरात सरकार और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस मुद्दे का गरमाना मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने राजनीतिक विरोधियों पर पलटवार का एक और मौका दे जाएगा।
गुजरात दंगों की जाच के लिए गठित विशेष जाच दल के समक्ष गवाहों ने नरोड़ा गाम दंगे में कोडनानी और विहिप नेता जयदीप के लिप्त होने का आरोप लगाया था। गत दिसंबर में एसआईटी ने इन दोनों से पूछताछ की थी। इसमें कोडनानी ने बताया था कि वह 28 फरवरी की इस घटना के दिन सरकारी अस्पताल में भर्ती थीं। एसआईटी के एक अधिकारी के अनुसार जाच के बाद एसआईटी ने 29 व 31 जनवरी को उन्हें फिर हाजिर होने के लिए समन भेजा। लेकिन, गांधीनगर मंत्री आवास और अहमदाबाद स्थित घर पर उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस दौरान मंत्री का मोबाइल भी बंद होने के कारण उनके पूछताछ नहीं हो सकी। एसआईटी ने सोमवार को कोडनानी और जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर उनकी तलाश तेज कर दी है।
उधर, मंत्री के कार्यालय से संपर्क करने पर पता चला कि वे वलसाड जिले में महिला सम्मेलनों में व्यस्त है। बचाव पक्ष के वकील मीतेश अमीन ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात दंगों के दौरान नरोड़ा गाम में 28 फरवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आरोप पत्र में माया बेन समेत 24 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की थी। माया बेन नरोड़ा विधानसभा से तीन बार विधायक चुनी गई है। इस मामले की जाच एसआईटी कर रही है। जाच टीम का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर. के. राघवन इस समिति के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सी. डी. सत्पथी समेत गुजरात कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस इसके सदस्य है।
आईपीएस के काडर रिव्यू प्रस्ताव में पांच जिले गायब
भोपाल। प्रदेश में पचास जिले हैं। यह प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा आईपीएस के काडर रिव्यू हेतु केन्द्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में प्रदेश के पैंतालिस जिले के लिए ही एसपी मांगे गए है। इसका पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर दूरगामी असर पड़ेगा और नीचे स्तर पर हमेशा अधिकारियों की कमी बनी रहेगी। इस प्रस्ताव से गृह विभाग के कुछ अधिकारी खुश हो सकते हैं कि उन्होने जो चाहा वही प्रस्ताव भेजा। पुलिस मुख्यालय व पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी की बात नहीं सुनी,लेकिन इसका सीधा असर प्रदेश की सुरक्षा पर पड़ेगा। वैसे भी प्रदेश में जूनियर पुलिस अधिकारियों की कमी है।
जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियों का काडर रिव्यू साढ़े पांच साल पहले 26 अगस्त 2003 को हुआ था। नियमानुसार पांच साल में काडर रिव्यू हो जाना चाहिए,लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आईपीएस का कैडर रिव्यू नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पूर्व काड़र रिव्यू के लिए भेजे गए पत्र को पहले दवाकर रखा गया और बाद में इस पर कार्रवाई शुरू की गई। काडर रिव्यू को लेकर एक साल तक गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा। इस दौरान सारी लिखा पढ़ी गृह विभाग तक ही सीमित रही। पुलिस मुख्यालय के किसी भी प्रस्ताव को गृह मंत्री तथा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया। नियमानुसार अखिलभारतीय सेवा के अधिकारियों का मामला मुख्यमंत्री तक भेजना चाहिए। लेकिन गृह विभाग ने अपनी पूरी ताकत इस बात पर लगाई कि काडर रिव्यू में आईपीएस के पद किस तरह कम किए जाएं। यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने सत्रह जुलाई 2008 को जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गृह विभाग ने उस प्रस्ताव पर भी अपनी असहमति व्यक्त कर पुलिस मुख्यालय से दुबारा प्रस्ताव मांगा। गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक का एक अतिरिक्त पद स्वीकृति करने की सहमति तो दे दी,लेकिन महानिदेशक जेल के स्थान पर महानिदेशक जेएनपीए सागर का पद स्वीकृत करने की सहमति दी। गृह विभाग द्वारा काडर रिव्यू करने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ईओडब्लयू, लोकायुक्त तथा परिवहन आयुक्त व परिवहन उपायुक्त के पद भी काडर में शामिल नहीं किया जाए,जबकि उक्त पदों पर लंबे समय से पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्य कर रहे हैं। गृह विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त व राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के पद गृह विभाग के न होकर सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अत: यह भी नहीं कहा जा सकता कि ये पद सदैव भापुसे के अधिकारियों से भरे जावेंगे। परिवहन आयुक्त का पद परिवहन विभाग का है। यह पद प्राय: सभी प्रदेशों में भाप्रसे का है। इसकी विषय वस्तु भी ऐसी नहीं है कि यह कहा जा सके कि यह कोर पुलिस फंकशन है। इस कारण उक्त पदों को ़गृह विभाग के काडर में शामिल नही किया जा सकता। गृह विभाग ने काडर रिव्यू में आईपीएस के 316 पद करने संबंधी प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और 271 पदों का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा।
जिन पदों का प्रस्ताव में उल्लेख नहीं है वे हैं आईजी शहडोल रेंज,एसपी अशोकनगर,बुरहानपुर,अ9 नूपपुर,अलीराजपुर तथा सिंगरौली। इसके अलावा पन्द्रह रेंज डीआईजी के पदों का भी उल्लेख नही है।
इन पदों को नही माना गया काडर पद
आयुक्त परिवहन,उपायुक्त परिवहन , डीजी ईओडब्ल्यू,आईजी ईओडब्ल्यू,डीआईजी ईओडब्ल्यू तथा चार एसपी ईओडब्ल्यू। इसके अलावा डीजी लोकायुक्त,आईजी लोकायुक्त,डीआईजी लोकायुक्त तथा एसपी लोकायुक्त।
जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियों का काडर रिव्यू साढ़े पांच साल पहले 26 अगस्त 2003 को हुआ था। नियमानुसार पांच साल में काडर रिव्यू हो जाना चाहिए,लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आईपीएस का कैडर रिव्यू नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पूर्व काड़र रिव्यू के लिए भेजे गए पत्र को पहले दवाकर रखा गया और बाद में इस पर कार्रवाई शुरू की गई। काडर रिव्यू को लेकर एक साल तक गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा। इस दौरान सारी लिखा पढ़ी गृह विभाग तक ही सीमित रही। पुलिस मुख्यालय के किसी भी प्रस्ताव को गृह मंत्री तथा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया। नियमानुसार अखिलभारतीय सेवा के अधिकारियों का मामला मुख्यमंत्री तक भेजना चाहिए। लेकिन गृह विभाग ने अपनी पूरी ताकत इस बात पर लगाई कि काडर रिव्यू में आईपीएस के पद किस तरह कम किए जाएं। यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने सत्रह जुलाई 2008 को जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गृह विभाग ने उस प्रस्ताव पर भी अपनी असहमति व्यक्त कर पुलिस मुख्यालय से दुबारा प्रस्ताव मांगा। गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक का एक अतिरिक्त पद स्वीकृति करने की सहमति तो दे दी,लेकिन महानिदेशक जेल के स्थान पर महानिदेशक जेएनपीए सागर का पद स्वीकृत करने की सहमति दी। गृह विभाग द्वारा काडर रिव्यू करने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ईओडब्लयू, लोकायुक्त तथा परिवहन आयुक्त व परिवहन उपायुक्त के पद भी काडर में शामिल नहीं किया जाए,जबकि उक्त पदों पर लंबे समय से पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्य कर रहे हैं। गृह विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त व राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के पद गृह विभाग के न होकर सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अत: यह भी नहीं कहा जा सकता कि ये पद सदैव भापुसे के अधिकारियों से भरे जावेंगे। परिवहन आयुक्त का पद परिवहन विभाग का है। यह पद प्राय: सभी प्रदेशों में भाप्रसे का है। इसकी विषय वस्तु भी ऐसी नहीं है कि यह कहा जा सके कि यह कोर पुलिस फंकशन है। इस कारण उक्त पदों को ़गृह विभाग के काडर में शामिल नही किया जा सकता। गृह विभाग ने काडर रिव्यू में आईपीएस के 316 पद करने संबंधी प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और 271 पदों का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा।
जिन पदों का प्रस्ताव में उल्लेख नहीं है वे हैं आईजी शहडोल रेंज,एसपी अशोकनगर,बुरहानपुर,अ9 नूपपुर,अलीराजपुर तथा सिंगरौली। इसके अलावा पन्द्रह रेंज डीआईजी के पदों का भी उल्लेख नही है।
इन पदों को नही माना गया काडर पद
आयुक्त परिवहन,उपायुक्त परिवहन , डीजी ईओडब्ल्यू,आईजी ईओडब्ल्यू,डीआईजी ईओडब्ल्यू तथा चार एसपी ईओडब्ल्यू। इसके अलावा डीजी लोकायुक्त,आईजी लोकायुक्त,डीआईजी लोकायुक्त तथा एसपी लोकायुक्त।
दर-दर भटक रही है शहीद कमांडो की मां
एक दिन वह भी राष्ट्रपति भवन में खड़ी थी ..और उसके बेटे को कीर्ति चक्र दिया जा रहा था। वह भव्य कक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] के शहीद कमांडो की वीर गाथाओं से गूंज रहा था, लेकिन अब उस कमांडो की मां के लिए ये गाथाएं एक छलावा बनकर रह गई हैं। कीर्ति चक्र से मिली क्षणिक कीर्ति कब की ओझल हो चुकी है और आतंकियों से लड़कर प्राणों की आहूति देने वाले कमांडो की मां के पास अब सुनाने के लिए उन उपेक्षाओं के किस्से बचे हैं, जिनका सामना उन्हें इस सम्मान का प्रशस्ति पत्र तक पाने की विफल कोशिश के दौरान करना पड़ा।
सुरेशी देवी के कानों में वे शब्द आज भी ताजा हैं ..एनएसजी के इस जांबाज कमांडो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अक्षरधाम में आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। कमांडो सुरजन सिंह भंडारी को चार गोलियां लगीं। उनके सिर में भी एक गोली लगी, लेकिन वह आतंकियों से जूझते रहे। कमांडो सुरजन ने अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
छह साल पहले बोले गए इन शब्दों से सुरेशी देवी का दिल चाक चाक हो गया था और आंखों में आंसुओं का समंदर उमड़ आया था, लेकिन आज ये सारे शब्द उन्हें खोखले लगते हैं। इन बीते वर्षो में सरकार की घोषणाओं ने शहीद कमांडों की मां को दर-दर भटकाया है और कीर्तिचक्र सम्मान के साथ पेट्रोल पंप दिए जाने का वादा तो क्या पूरा होता, उन्हें आज तक इस चक्र के साथ मिलने वाला प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कमांडो सुरजन सिंह भंडारी उन सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर में घुसे आतंकियों से लड़ने के लिए भेजा गया था। आतंकियों से लड़ते हुए यह कमांडो बुरी तरह घायल हो गया और उसके सिर में भी गोली लगी। कमांडो सुरजन बीस महीने तक नीम बेहोशी की हालत में रहे और तिल तिल कर मरते रहे। आखिरकार 19 मई 2003 को सुरजन ने दमतोड़ दिया। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई और तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के लिए पेट्रोल पंप देने का भी वादा किया था।
दिन बीतने के साथ वादे की इबारतें मंद पड़ती गई। एनएसजी के अधिकारी कमांडो के परिवार को दिलासा देते रहे। अब छह साल बाद पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सुरेशी देवी का बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप तो उन्हें आवंटित हो गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय से उनके नाम का फंड ही नहीं निर्धारित हुआ है, जब तक यह राशि तय नहीं होती तब तक पेट्रोल पंप नहीं लग सकता। सुरेशी देवी ऐसे जवाब से आहत हैं।
उन्हें तो यह भी लगने लगा है कि कहीं केंद्र में सरकार बदलने की सजा तो उन्हें नहीं मिल रही है। वह कहती हैं ..हमें नहीं पता क्या हो रहा है। किस पार्टी की सरकार है इससे हमें क्या लेना देना। सुरजन तो किसी पार्टी का नहीं था। सरकार बदलने की सजा हमें क्यों मिल रही है।
सुरेशी देवी के कानों में वे शब्द आज भी ताजा हैं ..एनएसजी के इस जांबाज कमांडो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अक्षरधाम में आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। कमांडो सुरजन सिंह भंडारी को चार गोलियां लगीं। उनके सिर में भी एक गोली लगी, लेकिन वह आतंकियों से जूझते रहे। कमांडो सुरजन ने अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
छह साल पहले बोले गए इन शब्दों से सुरेशी देवी का दिल चाक चाक हो गया था और आंखों में आंसुओं का समंदर उमड़ आया था, लेकिन आज ये सारे शब्द उन्हें खोखले लगते हैं। इन बीते वर्षो में सरकार की घोषणाओं ने शहीद कमांडों की मां को दर-दर भटकाया है और कीर्तिचक्र सम्मान के साथ पेट्रोल पंप दिए जाने का वादा तो क्या पूरा होता, उन्हें आज तक इस चक्र के साथ मिलने वाला प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कमांडो सुरजन सिंह भंडारी उन सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर में घुसे आतंकियों से लड़ने के लिए भेजा गया था। आतंकियों से लड़ते हुए यह कमांडो बुरी तरह घायल हो गया और उसके सिर में भी गोली लगी। कमांडो सुरजन बीस महीने तक नीम बेहोशी की हालत में रहे और तिल तिल कर मरते रहे। आखिरकार 19 मई 2003 को सुरजन ने दमतोड़ दिया। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई और तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के लिए पेट्रोल पंप देने का भी वादा किया था।
दिन बीतने के साथ वादे की इबारतें मंद पड़ती गई। एनएसजी के अधिकारी कमांडो के परिवार को दिलासा देते रहे। अब छह साल बाद पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सुरेशी देवी का बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप तो उन्हें आवंटित हो गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय से उनके नाम का फंड ही नहीं निर्धारित हुआ है, जब तक यह राशि तय नहीं होती तब तक पेट्रोल पंप नहीं लग सकता। सुरेशी देवी ऐसे जवाब से आहत हैं।
उन्हें तो यह भी लगने लगा है कि कहीं केंद्र में सरकार बदलने की सजा तो उन्हें नहीं मिल रही है। वह कहती हैं ..हमें नहीं पता क्या हो रहा है। किस पार्टी की सरकार है इससे हमें क्या लेना देना। सुरजन तो किसी पार्टी का नहीं था। सरकार बदलने की सजा हमें क्यों मिल रही है।
रविवार, 18 जनवरी 2009
आठ साल की लड़की ने रचाई मेंढक से शादी
इस साल आर विज्ञानेश्वरी नाम की लड़की से मेंढक की शादी हुई है। परंपरा के अनुसार तमिल महीने के पहले दिन विवाह का मुहूर्त निकलता है। बीते शुक्रवार को भी ऐसा ही मुहूर्त था। इस दिन गांव के मुथुमेरियम्मन मंदिर के तालाब से मेंढक निकाला गया और विज्ञानेश्वरी से उसकी शादी कर दी गई। मंदिर के पश्चिम क्षेत्र में रहने वाले लोग मेंढक की तरफ से विज्ञानेश्वरी के घर गए और उसकी शादी के लिए उसके माता-पिता से अनुमति ली। इसके बाद भजन और ढोल नगाड़ों के शोर के बीच मंदिर के पुजारी ने लड़की और मेंढक की शादी करा दी।
देश छोड़कर भाग गया प्रभाकरण
तमिल विद्रोहियों के अंतिम गढ़ मुल्लाईतिवु की घेराबंदी कर रही श्रीलंकाई सेना ने आशंका जताई है कि लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण देश छोड़कर भाग गया है।
इस बीच सरकार ने देश के अशांत उत्तरी क्षेत्र में सैन्य अभियान के बाद राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया है। भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उन्हें यह आश्वासन दिया।
श्रीलंका सेना के प्रमुख सरथ फोनसेका ने रविवार को यहां कहा, 'इस बात के आसार कम ही हैं कि लिंट्टे प्रमुख श्रीलंका में हो। लेकिन, यह भी तय है कि वह भारत नहीं गया। भारत सरकार उसे वहां रुकने की इजाजत नहीं देगी।' उल्लेखनीय है कि प्रभाकरण 1991 में राजीव गांधी की हत्या के मामले में वांछित है। प्रभाकरण का संगठन लिबरेशन टाइगर आफ तमिल ईलम [लिंट्टे] यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में भी आतंकी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध है। सेना प्रमुख ने कहा कि लिट्टे पर हमारा शिकंजा कसता जा रहा है। उसके तमाम ठिकानों पर सेना ने कब्जा कर लिया है।
इससे पहले किलिनोच्चि और एलीफैंट पास पर कब्जा करने के बाद सेना ने प्रभाकरण के मुल्लाईतिवु में होने की बात कही थी। स्थानीय मीडिया में कहा जा रहा है कि प्रभाकरण जमीन से 30 फुट नीचे एक वातानुकूलित बंकर में रह रहा है और रात में ही बाहर निकलता है।
श्रीलंका की सैन्य टुकड़ियां रविवार को मुल्लाईतिवु के और करीब पहुंच गईं। सेना ने दावा किया कि उसकी ताजा कार्रवाई में कम से कम 31 लिंट्टे विद्रोही मारे गए। सेना ने लिंट्टे की एक नौका बनाने वाले कारखाने को भी ध्वस्त करने का दावा किया।
इस बीच सरकार ने देश के अशांत उत्तरी क्षेत्र में सैन्य अभियान के बाद राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया है। भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उन्हें यह आश्वासन दिया।
श्रीलंका सेना के प्रमुख सरथ फोनसेका ने रविवार को यहां कहा, 'इस बात के आसार कम ही हैं कि लिंट्टे प्रमुख श्रीलंका में हो। लेकिन, यह भी तय है कि वह भारत नहीं गया। भारत सरकार उसे वहां रुकने की इजाजत नहीं देगी।' उल्लेखनीय है कि प्रभाकरण 1991 में राजीव गांधी की हत्या के मामले में वांछित है। प्रभाकरण का संगठन लिबरेशन टाइगर आफ तमिल ईलम [लिंट्टे] यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में भी आतंकी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध है। सेना प्रमुख ने कहा कि लिट्टे पर हमारा शिकंजा कसता जा रहा है। उसके तमाम ठिकानों पर सेना ने कब्जा कर लिया है।
इससे पहले किलिनोच्चि और एलीफैंट पास पर कब्जा करने के बाद सेना ने प्रभाकरण के मुल्लाईतिवु में होने की बात कही थी। स्थानीय मीडिया में कहा जा रहा है कि प्रभाकरण जमीन से 30 फुट नीचे एक वातानुकूलित बंकर में रह रहा है और रात में ही बाहर निकलता है।
श्रीलंका की सैन्य टुकड़ियां रविवार को मुल्लाईतिवु के और करीब पहुंच गईं। सेना ने दावा किया कि उसकी ताजा कार्रवाई में कम से कम 31 लिंट्टे विद्रोही मारे गए। सेना ने लिंट्टे की एक नौका बनाने वाले कारखाने को भी ध्वस्त करने का दावा किया।
आरएएफ के जवान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनेंगे
दंगे नियंत्रित करने के लिए विशेषतौर पर प्रशिक्षित त्वरित कार्रवाई बल [आरएएफ] के नीली वर्दी वाले जवान अब आतंकी हमलों के स्थलों सहित जान जोखिम में डालने वाले अन्य अभियानों में बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करेंगे।
ये बुलेट पू्रफ आरएएफ के चुनिंदा कर्मियों को दी जाएगी जो जब तक दंगों से निपटने के दौरान अलग तरह की जैकेट पहनते थे। आरएएफ के महानिरीक्षक जे सी डबास ने कहा कि त्वरित कार्रवाई बल की भूमिका हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है और मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में यह भूमिका और बढ़ रही है। मुंबई हमलों जैसी स्थितियों और जम्मू-कश्मीर में जान जोखिम में डालने वाले विभिन्न अभियानों में हमारे कर्मियों की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ समय की जरुरत है। आरएएफ के 12000 में से 30 फीसदी कर्मियों को ऐसी नई जैकेटें दी जाएगी।
मुंबई में आतंकी हमलों के स्थलों के आसपास के क्षेत्र की घेराबंदी करने वाली आरएएफ इस अनुभव को राष्ट्रीय राजधानी में स्थापित बल के नए संग्रहालय में अपने इतिहास में शामिल करेगी। मुंबई पुलिस के बाद आरएएफ ऐसा पहला विशेष बल था जो नवी मुंबई से ताज होटल पहुंचा था। डबास ने कहा कि मुंबई की घटना बल के इतिहास में शामिल की जाएगी जहां उसने आतंकियों के बाहर निकलने के रास्ते को बंद करने का काम किया था।
मुंबई के पुलिस आयुक्त के गत 26 नवंबर को तलब किए जाने के बाद मुंबई के पास स्थित बल की 102 वीं बटालियन की ताज होटल, ओबराय [ट्राइडेंट] और नरीमन हाउस में तैनाती की गई थी। बल ने मुंबई स्थित अपनी इकाई से पहले ही घटना के बारे में राष्ट्रीय राजधानी स्थित मुख्यालय में दस्तावेज भेजने को कह दिया है। मुंबई के आतंकी हमलों के दौरान तैनात रहे कर्मियों के चित्रों,दस्तावेजों और समाचारों को आरएएफ के संग्रहालय का हिस्सा बनाया जाएगा। बल की स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी।
ये बुलेट पू्रफ आरएएफ के चुनिंदा कर्मियों को दी जाएगी जो जब तक दंगों से निपटने के दौरान अलग तरह की जैकेट पहनते थे। आरएएफ के महानिरीक्षक जे सी डबास ने कहा कि त्वरित कार्रवाई बल की भूमिका हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है और मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में यह भूमिका और बढ़ रही है। मुंबई हमलों जैसी स्थितियों और जम्मू-कश्मीर में जान जोखिम में डालने वाले विभिन्न अभियानों में हमारे कर्मियों की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ समय की जरुरत है। आरएएफ के 12000 में से 30 फीसदी कर्मियों को ऐसी नई जैकेटें दी जाएगी।
मुंबई में आतंकी हमलों के स्थलों के आसपास के क्षेत्र की घेराबंदी करने वाली आरएएफ इस अनुभव को राष्ट्रीय राजधानी में स्थापित बल के नए संग्रहालय में अपने इतिहास में शामिल करेगी। मुंबई पुलिस के बाद आरएएफ ऐसा पहला विशेष बल था जो नवी मुंबई से ताज होटल पहुंचा था। डबास ने कहा कि मुंबई की घटना बल के इतिहास में शामिल की जाएगी जहां उसने आतंकियों के बाहर निकलने के रास्ते को बंद करने का काम किया था।
मुंबई के पुलिस आयुक्त के गत 26 नवंबर को तलब किए जाने के बाद मुंबई के पास स्थित बल की 102 वीं बटालियन की ताज होटल, ओबराय [ट्राइडेंट] और नरीमन हाउस में तैनाती की गई थी। बल ने मुंबई स्थित अपनी इकाई से पहले ही घटना के बारे में राष्ट्रीय राजधानी स्थित मुख्यालय में दस्तावेज भेजने को कह दिया है। मुंबई के आतंकी हमलों के दौरान तैनात रहे कर्मियों के चित्रों,दस्तावेजों और समाचारों को आरएएफ के संग्रहालय का हिस्सा बनाया जाएगा। बल की स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी।
डीजल लीकेज के कारण कुंऐ में आग
शाजापुर/भोपाल। आगर तहसील के ग्राम पांचारुंडी में कल दोपहर पाइप लाइन से डीजल के रिसाव के चलते अचानक एक कुएं में पानी में आग लग गई जिससे तीन विद्युत मोटरें, पाइप तथा अन्य विद्युत उपकरण जलकर नष्ट हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड की हाईस्पीड पेट्रोलियम पाइप लाइन मुंबई, बिजवासन, दिल्ली वाया मांगलिया, इंदौर होकर ग्राम पांचारुंडी के समीप से निकली है।
पिछले कई दिनों से इस गांव के किसान इस पाइप लाइन से डीजल रिसाव की शिकायतें कर रहे थे। इस पाइप लाइन के एसवी 32 केन्द्र के समीप पाइप लाइन से डीजल का लीकेज लगातार हो रहा है जिससे गांव के अनेक कुओं में डीजल आ रहा है। अनेक शिकायतें करने के बाद भी अधिकारियों की लापरवाही के चलते कल बने सिंह नामक किसान के 40 फीट गहरे कुएं में अचानक आग लग गई। आगर से आयी फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
इस मामले की शिकायत किये जाने पर 10 जनवरी को विभाग के अधिकारियों ने लीकेज बंद करने का दावा किया था। इस लीकेज से चुराया गया एक हजार लीटर डीजल भी पुलिस 30 दिसंबर 08 को बरामद कर चुकी है।
दूसरी तरफ जिला कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि कल की घटना को देखते हुए वे भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि लीकेज को बंद कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड की हाईस्पीड पेट्रोलियम पाइप लाइन मुंबई, बिजवासन, दिल्ली वाया मांगलिया, इंदौर होकर ग्राम पांचारुंडी के समीप से निकली है।
पिछले कई दिनों से इस गांव के किसान इस पाइप लाइन से डीजल रिसाव की शिकायतें कर रहे थे। इस पाइप लाइन के एसवी 32 केन्द्र के समीप पाइप लाइन से डीजल का लीकेज लगातार हो रहा है जिससे गांव के अनेक कुओं में डीजल आ रहा है। अनेक शिकायतें करने के बाद भी अधिकारियों की लापरवाही के चलते कल बने सिंह नामक किसान के 40 फीट गहरे कुएं में अचानक आग लग गई। आगर से आयी फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
इस मामले की शिकायत किये जाने पर 10 जनवरी को विभाग के अधिकारियों ने लीकेज बंद करने का दावा किया था। इस लीकेज से चुराया गया एक हजार लीटर डीजल भी पुलिस 30 दिसंबर 08 को बरामद कर चुकी है।
दूसरी तरफ जिला कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि कल की घटना को देखते हुए वे भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि लीकेज को बंद कर दिया गया है।
रविवार, 11 जनवरी 2009
उड़ने वाली कार का परीक्षण अगले माह
जेम्स बांड या हालीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में आपने कई बार उड़ने वाली कार देखी होगी। लेकिन जल्द ही यह कल्पना हकीकत बनने जा रही है। दुनिया की पहली उड़ने वाली कार का हवाई परीक्षण अगले महीने होने जा रहा है।
द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यदि परीक्षण सफल रहा तो 18 महीनों में यह कार बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध होगी।
टू सीटर यह कार जहां सड़क पर हवा से बातें करेंगी वहीं 15 सेकेंड के भीतर इसे हवा में उड़ाया जा सकेगा। कार को नासा के पूर्व इंजीनियरों ने तैयार किया है और नाम रखा है 'द टेराफुगिया ट्रांजिशन।'
हवा और जमीन पर यह 100 बीएचपी इंजन से संचालित होगी। कार के निर्माता कार्ल डेट्रिच ने कहा कि उड़ने वाली कार सामान्य शीशारहित ईधन से चलेगी। एक बार टंकी भरवाने के बाद टेराफुगिया 800 किमी तक उड़ सकेगी।
सड़क पर इसकी गति भी लाजवाब होगी। इसकी रफ्तार 115 मील प्रति घंटे [185 किमी प्रति घंटा] होगी। अभी इसका परीक्षण 90 मील प्रति घंटे [करीब 144 किमी प्रति घंटा] की रफ्तार के साथ केवल सड़कों पर ही किया गया है।
उन्होंने कार के डिजाइन को अनूठा बताया है। लागत के बारे में बताते हुए डेट्रिच ने कहा कि इसकी संभावित कीमत दो लाख अमेरिकी डालर [करीब 95 लाख रुपये] हो सकती है। महंगी होने के बावजूद हमें 40 आर्डर पहले ही मिल चुके हैं। डायट्रिक ने कहा कि इसे बाजार में उतारने में थोड़ी दिक्कत है।
इसका बीमा कराने में मुश्किल आ सकती है साथ ही किसी भी स्थान से उड़ान भर सकना भी आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अलास्का ही ऐसी जगह है जहां सड़क से उड़ान भरना कानूनी है। डेट्रिच ने भविष्य में इन कारों के सस्ते वर्जन लाने की उम्मीद जताई है।
द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यदि परीक्षण सफल रहा तो 18 महीनों में यह कार बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध होगी।
टू सीटर यह कार जहां सड़क पर हवा से बातें करेंगी वहीं 15 सेकेंड के भीतर इसे हवा में उड़ाया जा सकेगा। कार को नासा के पूर्व इंजीनियरों ने तैयार किया है और नाम रखा है 'द टेराफुगिया ट्रांजिशन।'
हवा और जमीन पर यह 100 बीएचपी इंजन से संचालित होगी। कार के निर्माता कार्ल डेट्रिच ने कहा कि उड़ने वाली कार सामान्य शीशारहित ईधन से चलेगी। एक बार टंकी भरवाने के बाद टेराफुगिया 800 किमी तक उड़ सकेगी।
सड़क पर इसकी गति भी लाजवाब होगी। इसकी रफ्तार 115 मील प्रति घंटे [185 किमी प्रति घंटा] होगी। अभी इसका परीक्षण 90 मील प्रति घंटे [करीब 144 किमी प्रति घंटा] की रफ्तार के साथ केवल सड़कों पर ही किया गया है।
उन्होंने कार के डिजाइन को अनूठा बताया है। लागत के बारे में बताते हुए डेट्रिच ने कहा कि इसकी संभावित कीमत दो लाख अमेरिकी डालर [करीब 95 लाख रुपये] हो सकती है। महंगी होने के बावजूद हमें 40 आर्डर पहले ही मिल चुके हैं। डायट्रिक ने कहा कि इसे बाजार में उतारने में थोड़ी दिक्कत है।
इसका बीमा कराने में मुश्किल आ सकती है साथ ही किसी भी स्थान से उड़ान भर सकना भी आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अलास्का ही ऐसी जगह है जहां सड़क से उड़ान भरना कानूनी है। डेट्रिच ने भविष्य में इन कारों के सस्ते वर्जन लाने की उम्मीद जताई है।
कल्याण के तेवरों से झुलसने लगी भाजपा
कल्याण सिंह के उग्र तेवरों से फूट रही चिंगारियां अब भाजपा को झुलसने लगी हैं। उनके पुत्र राजवीर सिंह ने बुलंदशहर सीट के घोषित उम्मीदवार अशोक प्रधान को क्षेत्र में घुसने नहीं देने की कसम खा ली है। इससे माहौल ऐसा बन गया है कि पार्टी कहने को तो 2009 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है, लेकिन परिदृश्य 1999 जैसा लगने लगा है, जब कल्याण सिंह इसी तरह चिंगारियां छोड़ रहे थे।
शनिवार को बुलंदशहर में राजवीर सिंह और अशोक प्रधान समर्थकों के बीच टकराव की नौबत आ जाने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जाहिर है कि कल्याण सिंह जैसे कद्दावर नेता के क्षेत्र में पार्टी की फजीहत हुई, लेकिन पूर्वमंत्री लालजी टंडन कहते हैं कि इसमें अनुशासनहीनता जैसी कोई बात नहीं। एक को टिकट मिलने पर अन्य दावेदारों का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। टंडन के मुताबिक, नामांकन होने तक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया अनुशासनहीनता की श्रेणी में नहीं आती। अशोक प्रधान इस तर्क से सहमत नहीं। उन्होंने जागरण से कहा कि पार्टी के भीतर प्रतिक्रिया वाजिब है, लेकिन सड़क पर कतई नहीं।
प्रधान कहते हैं कि शनिवार को राजवीर सिंह समाजवादी पार्टी द्वारा प्रयोजित गुंडे लेकर उनसे टकराने आए थे। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से राजवीर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
अशोक प्रधान को बुलंदशहर सीट पर टिकट देने का विरोध खुद कल्याण सिंह कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रधान ने भितरघात करके उनके पुत्र राजवीर को डिबाई सीट पर हरवा दिया था। कल्याण सिंह घोषणा कर चुके हैं कि वह बुलंदशहर सीट पर प्रधान को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे, यद्यपि प्रधान का दावा है कि कल्याण सिंह के विरोध के बावजूद वह चुनाव जीत जाएंगे।
बहरहाल, रविवार को वरिष्ठ नेता लालजी टंडन द्वारा खुलकर राजवीर सिंह की तरफदारी करने से संकेत मिलने लगे कि इस प्रकरण के बहाने पार्टी की गुटबाजी दोबारा सिर उठाने लगी है। टंडन से पूछा गया कि क्या प्रधान की सीट बदली जा सकती है? उन्होंने कहा कि नामांकन से पहले कुछ भी संभव है। कल्याण सिंह यही मांग कर रहे हैं।
उधर, प्रधान का कहना है कि राजवीर सिंह का आचरण गंभीर घटना है। केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व के अलावा खुद कल्याण सिंह को भी सोचना चाहिए कि पार्टी अनुशासन को लेकर उनके बेटे और किसी अन्य कार्यकर्ता के लिए क्या अलग-अलग नियम हैं? कल्याण सिंह द्वारा शनिवार की घटना को जन-प्रतिक्रिया करार दिए जाने पर प्रधान ने सवाल उठाया कि राजवीर इतने लोकप्रिय हैं, तो डिबाई में चुनाव कैसे हार गए?
विरोध पूरी तरह जायज : कल्याण कल्याण सिंह नहीं मानते कि उनके पुत्र राजवीर सिंह ने कोई अनुशासनहीनता की। शनिवार की घटना को पूरी तरह जायज ठहराते हुए उन्होंने जागरण से कहा कि जिस अशोक प्रधान ने विधानसभा चुनाव में भितरघात करके भाजपा को छह-सात सीटों पर हरवाया, उसे बुलंदशहर की जनता क्षेत्र में कैसे घुसने देगी।
उन्होंने कहा कि यह राजवीर का अपना क्षेत्र है, लिहाजा वह भी मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन असलियत यह है कि पूरे संसदीय क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा थे कि प्रधान की बुलंदशहर में घुसने की हिम्मत नहीं पड़ी।
शनिवार को बुलंदशहर में राजवीर सिंह और अशोक प्रधान समर्थकों के बीच टकराव की नौबत आ जाने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जाहिर है कि कल्याण सिंह जैसे कद्दावर नेता के क्षेत्र में पार्टी की फजीहत हुई, लेकिन पूर्वमंत्री लालजी टंडन कहते हैं कि इसमें अनुशासनहीनता जैसी कोई बात नहीं। एक को टिकट मिलने पर अन्य दावेदारों का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। टंडन के मुताबिक, नामांकन होने तक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया अनुशासनहीनता की श्रेणी में नहीं आती। अशोक प्रधान इस तर्क से सहमत नहीं। उन्होंने जागरण से कहा कि पार्टी के भीतर प्रतिक्रिया वाजिब है, लेकिन सड़क पर कतई नहीं।
प्रधान कहते हैं कि शनिवार को राजवीर सिंह समाजवादी पार्टी द्वारा प्रयोजित गुंडे लेकर उनसे टकराने आए थे। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से राजवीर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
अशोक प्रधान को बुलंदशहर सीट पर टिकट देने का विरोध खुद कल्याण सिंह कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रधान ने भितरघात करके उनके पुत्र राजवीर को डिबाई सीट पर हरवा दिया था। कल्याण सिंह घोषणा कर चुके हैं कि वह बुलंदशहर सीट पर प्रधान को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे, यद्यपि प्रधान का दावा है कि कल्याण सिंह के विरोध के बावजूद वह चुनाव जीत जाएंगे।
बहरहाल, रविवार को वरिष्ठ नेता लालजी टंडन द्वारा खुलकर राजवीर सिंह की तरफदारी करने से संकेत मिलने लगे कि इस प्रकरण के बहाने पार्टी की गुटबाजी दोबारा सिर उठाने लगी है। टंडन से पूछा गया कि क्या प्रधान की सीट बदली जा सकती है? उन्होंने कहा कि नामांकन से पहले कुछ भी संभव है। कल्याण सिंह यही मांग कर रहे हैं।
उधर, प्रधान का कहना है कि राजवीर सिंह का आचरण गंभीर घटना है। केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व के अलावा खुद कल्याण सिंह को भी सोचना चाहिए कि पार्टी अनुशासन को लेकर उनके बेटे और किसी अन्य कार्यकर्ता के लिए क्या अलग-अलग नियम हैं? कल्याण सिंह द्वारा शनिवार की घटना को जन-प्रतिक्रिया करार दिए जाने पर प्रधान ने सवाल उठाया कि राजवीर इतने लोकप्रिय हैं, तो डिबाई में चुनाव कैसे हार गए?
विरोध पूरी तरह जायज : कल्याण कल्याण सिंह नहीं मानते कि उनके पुत्र राजवीर सिंह ने कोई अनुशासनहीनता की। शनिवार की घटना को पूरी तरह जायज ठहराते हुए उन्होंने जागरण से कहा कि जिस अशोक प्रधान ने विधानसभा चुनाव में भितरघात करके भाजपा को छह-सात सीटों पर हरवाया, उसे बुलंदशहर की जनता क्षेत्र में कैसे घुसने देगी।
उन्होंने कहा कि यह राजवीर का अपना क्षेत्र है, लिहाजा वह भी मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन असलियत यह है कि पूरे संसदीय क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा थे कि प्रधान की बुलंदशहर में घुसने की हिम्मत नहीं पड़ी।
गौरव गजराज को उड़ायेगी देश की पहली महिला पायलट
जागती हुयी आंखों से देखे जाने वाले सपने, कैसे हकीकत में बदल जाते है यह सीखा जा सकता है भारतीय वायुसेना की स्कवाड्रन लीडर वीना सहारन से, जिन्होंनें बचपन में आकाश में उड़ते विमानों को देखकर उन्हें उड़ाने की कल्पना की थी जो अब हकीकत बन गयी है। वे अब भारतीय वायुसेना का गौरव कहे जाने वाले आई एल. 76 गजराज को उड़ाने वाली है। वे देश की
पहली ऐसी महिला पायलट हो जायेगी, जिन्हें गजराज विमान को उड़ाने का अवसर प्राप्त होगा।
मिलेट्री हेडक्वाटर ऑफ वार महू में सीनियर स्टाफ आफिसर के रूप में पदस्थ कर्नल एच.एन.सहारन अपनी 27 वर्षीय पुत्री की इस
गौरव शाली उपलब्धि पर सीना फुलाये कहते हैं यह एक माता-पिता के लिये गौरव का क्षण होता है। उन्होंनें बताया कि वीना का बचपन का ख्वाव हकीकत में बदल जायेगा इसकी उन्हें आशा ही नहीं पूरा विश्वास था।
मूलत: जयपुर के रहने वाले कर्नल सहारन अपनी बेटी के बचपन को याद करते हुये बताते है कि वीना शायद चौथी कक्षा में रही होगी।
हम जयपुर केन्टोनमेंट में रहा करते थे। वीना का लगाव एयरोप्लेन के प्रति इतना अधिक था कि वह अपने घर की छत पर ही हल्के-फुल्के माइक्रोलाइट विमान उड़ाया करती थी और जब आसमान में उड़ते विमान देखती तो अपनी मां से कहती कि मैं भी एक दिन ऐसा ही विमान उड़ाऊंगी। सेना में पदस्थ होने के कारण बचपन से ही सैन्य परिवेश में रही वीना ने दिल्ली से बी.एस.सी. आनर्स की डिग्री प्रथम स्थान पर प्राप्त करने के साथ एन.सी.सी का सी प्रमाण पत्र और पर्वतरोहण का
पाठयक्रम भी पास किया। कर्नल सहारन बताते है यह 2001 की बात है। वीना ने भारतीय वायुसेना में आफि सर के लिये आवेदन किया और उसका चयन हो गया। दिसम्बर 2002 में उन्हें कमीशन भी प्राप्त हो गया था।
वीना के पिता बताते हैं और इन सात सालों में उसने इतिहास रच दिया। वीना ने वायुसेना के विमानों में दो हजार घन्टों की सफल उड़ान
भरी। वायुसेना की चंडीगढ़ स्थित 25 वीं स्कवाड्रन में उन्होंने ए.एन.32 प्लेन से तमाम कठिनाई वाले लक्ष्य की उड़ान भरी और सफल रही जैसे लेह, लद्दाख और सियाचिन। ए.एन 32 में दो शक्तिशाली इंजन के अलावा सात टन वजन ले जाने की क्षमता रहती है।
वीना की पिछली सफल उड़ान और उनके अन्य रिकार्ड को देखते हुये उनका चयन आई.एल.76 को उड़ाने के लिये किया गया है। उल्लेखनीय है कि आई.एल.76 भारतीय वायुसेना का विशालतम जहाज है, गजराज के नाम से मशहूर इस जहाज में चार शक्तिशाली इंजन होते है और इसमें 43 टन वजन ढोने की क्षमता रहती है। इस विमान को अब तक किसी महिला पायलट ने नहीं उड़ाया है। स्कवाड्रन लीडर वीना सहारन देश की पहली महिला पायलट होंगी जिन्हें यह अवसर प्राप्त हो रहा है। वीना को इसके लिये आगरा और नागपुर एयरवेस पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
अपने पिता कर्नल सहारन से महू मिलने आई वीना आज सुबह ही नागपुर एयरवेस के लिये रवाना हुयी हैं। लगभग तीन माह के प्रशिक्षण के बाद वीना गजराज को उड़ायेंगी। उल्लेखनीय है कि भारतीय वायुसेना में गजराज आई.एल.76 को उड़ाना एक गौरव और सम्मान माना जाता है। यह सम्मान अब देश की एक बेटी को प्राप्त हो रहा है।
पहली ऐसी महिला पायलट हो जायेगी, जिन्हें गजराज विमान को उड़ाने का अवसर प्राप्त होगा।
मिलेट्री हेडक्वाटर ऑफ वार महू में सीनियर स्टाफ आफिसर के रूप में पदस्थ कर्नल एच.एन.सहारन अपनी 27 वर्षीय पुत्री की इस
गौरव शाली उपलब्धि पर सीना फुलाये कहते हैं यह एक माता-पिता के लिये गौरव का क्षण होता है। उन्होंनें बताया कि वीना का बचपन का ख्वाव हकीकत में बदल जायेगा इसकी उन्हें आशा ही नहीं पूरा विश्वास था।
मूलत: जयपुर के रहने वाले कर्नल सहारन अपनी बेटी के बचपन को याद करते हुये बताते है कि वीना शायद चौथी कक्षा में रही होगी।
हम जयपुर केन्टोनमेंट में रहा करते थे। वीना का लगाव एयरोप्लेन के प्रति इतना अधिक था कि वह अपने घर की छत पर ही हल्के-फुल्के माइक्रोलाइट विमान उड़ाया करती थी और जब आसमान में उड़ते विमान देखती तो अपनी मां से कहती कि मैं भी एक दिन ऐसा ही विमान उड़ाऊंगी। सेना में पदस्थ होने के कारण बचपन से ही सैन्य परिवेश में रही वीना ने दिल्ली से बी.एस.सी. आनर्स की डिग्री प्रथम स्थान पर प्राप्त करने के साथ एन.सी.सी का सी प्रमाण पत्र और पर्वतरोहण का
पाठयक्रम भी पास किया। कर्नल सहारन बताते है यह 2001 की बात है। वीना ने भारतीय वायुसेना में आफि सर के लिये आवेदन किया और उसका चयन हो गया। दिसम्बर 2002 में उन्हें कमीशन भी प्राप्त हो गया था।
वीना के पिता बताते हैं और इन सात सालों में उसने इतिहास रच दिया। वीना ने वायुसेना के विमानों में दो हजार घन्टों की सफल उड़ान
भरी। वायुसेना की चंडीगढ़ स्थित 25 वीं स्कवाड्रन में उन्होंने ए.एन.32 प्लेन से तमाम कठिनाई वाले लक्ष्य की उड़ान भरी और सफल रही जैसे लेह, लद्दाख और सियाचिन। ए.एन 32 में दो शक्तिशाली इंजन के अलावा सात टन वजन ले जाने की क्षमता रहती है।
वीना की पिछली सफल उड़ान और उनके अन्य रिकार्ड को देखते हुये उनका चयन आई.एल.76 को उड़ाने के लिये किया गया है। उल्लेखनीय है कि आई.एल.76 भारतीय वायुसेना का विशालतम जहाज है, गजराज के नाम से मशहूर इस जहाज में चार शक्तिशाली इंजन होते है और इसमें 43 टन वजन ढोने की क्षमता रहती है। इस विमान को अब तक किसी महिला पायलट ने नहीं उड़ाया है। स्कवाड्रन लीडर वीना सहारन देश की पहली महिला पायलट होंगी जिन्हें यह अवसर प्राप्त हो रहा है। वीना को इसके लिये आगरा और नागपुर एयरवेस पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
अपने पिता कर्नल सहारन से महू मिलने आई वीना आज सुबह ही नागपुर एयरवेस के लिये रवाना हुयी हैं। लगभग तीन माह के प्रशिक्षण के बाद वीना गजराज को उड़ायेंगी। उल्लेखनीय है कि भारतीय वायुसेना में गजराज आई.एल.76 को उड़ाना एक गौरव और सम्मान माना जाता है। यह सम्मान अब देश की एक बेटी को प्राप्त हो रहा है।
हड़तालियों की सांस टूटने के कगार पर
ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल को लेकर सरकार कभी गरम तो कभी नरम की नीति अपना रही है। इस वजह से लोगों की तकलीफें दूर होने का नाम नहीं ले रहीं। लेकिन जल्द ही इससे निजात मिल सकती है। ट्रक हड़ताल के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस पर फैसले का इंतजार सभी को है। यदि फैसला ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ आया तो सरकार की सख्ती बढ़ जाएगी और ट्रांसपोर्टरों के हौसले एकदम पस्त हो जाएंगे।
वैसे सरकार का दावा है कि ट्रक हड़तालियों के हौसले टूटने लगे हैं। उसका कहना है कि कई क्षेत्रीय संगठनों ने हड़ताल खत्म कर दी है। ट्रक मालिक भी सरकार के साथ हैं। जनता तो हड़तालियों के साथ नहीं ही है। ऐसे में हड़ताली कभी भी हथियार डाल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने शुक्रवार को ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि हड़ताल से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तथा जनता की तकलीफें बढ़ती जा रही हैं। याचिका में ट्रक हड़ताल को गैर कानूनी घोषित और ट्रकों के परमिट रद करने की मांग की गई है।
सरकार को पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को जनता के हित में फैसला सुनाएगा। शायद यही वजह थी कि रविवार को परिवहन सचिव ब्रह्मा दत्त के तेवर तीखे थे। एक दिन पहले परिवहन मंत्री टी.आर. बालू ने हड़तालियों के प्रति काफी नरम रुख दिखाया था।
रविवार को ब्रह्मा दत्त ने कहा कि ट्रांसपोर्टर रोज नई मांगें रख रहे हैं, जिन्हें मानना संभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि तमाम क्षेत्रीय एसोसिएशन के हड़ताल से तौबा कर लेने के बाद हड़ताली ट्रांसपोर्टरों की हिम्मत टूटने ही वाली है। उन्होंने हड़ताल को राष्ट्रविरोधी भी बताया।
संवाददाताओं से बातचीत में ब्रह्मा दत्त ने कहा कि हड़ताल से निपटने के लिए 15-20 लाख ट्रकों का संचालन जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस संबंध में विचार के लिए राज्यों के परिवहन मंत्रियों को सोमवार को दिल्ली बुलाया गया है। इस बैठक में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपायों पर चर्चा होगी। परमिट संबंधी ट्रांसपोर्टरों की मांग पर भी चर्चा होने की संभावना है।
परिवहन सचिव के मुताबिक हरियाणा के गुड़गांव, राजस्थान के जयपुर, महाराष्ट्र के पुणे तथा कर्नाटक के हासन समेत अनेक नगरों में क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने हड़ताल खत्म कर दी है। ट्रक मालिकों के संगठन आल इंडिया कंफेडरेशन आफ गुड्स वेहिकल ओनर्स [आइकोगोआ] ने हड़ताल से निपटने में सरकार को पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया है। यह संगठन शुरू से ही हड़ताल से अलग है।
सरकार ट्रांसपोर्टरों के साथ पुचकार-दुत्कार की दोहरी नीति अपना रही है। परिवहन मंत्रियों की बैठक बुलाना भी इसी का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इससे जमीनी हकीकत का पता चलेगा और आगे की कार्रवाई में सहूलियत रहेगी। यदि राज्य सरकारों से सहयोग मिला और आइकोगोवा के ट्रक चल निकले तो आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस [एआईएमटीसी] की अकड़ टूटने में वक्त नहीं लगेगा। वैसे भी तेल कंपनियों के अधिकारियों की ही तरह हड़ताली ट्रांसपोर्टरों के साथ भी जनता की रत्ती भर सहानुभूति नहीं है। इसलिए हड़ताल खत्म होना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
वैसे सरकार का दावा है कि ट्रक हड़तालियों के हौसले टूटने लगे हैं। उसका कहना है कि कई क्षेत्रीय संगठनों ने हड़ताल खत्म कर दी है। ट्रक मालिक भी सरकार के साथ हैं। जनता तो हड़तालियों के साथ नहीं ही है। ऐसे में हड़ताली कभी भी हथियार डाल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने शुक्रवार को ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि हड़ताल से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तथा जनता की तकलीफें बढ़ती जा रही हैं। याचिका में ट्रक हड़ताल को गैर कानूनी घोषित और ट्रकों के परमिट रद करने की मांग की गई है।
सरकार को पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को जनता के हित में फैसला सुनाएगा। शायद यही वजह थी कि रविवार को परिवहन सचिव ब्रह्मा दत्त के तेवर तीखे थे। एक दिन पहले परिवहन मंत्री टी.आर. बालू ने हड़तालियों के प्रति काफी नरम रुख दिखाया था।
रविवार को ब्रह्मा दत्त ने कहा कि ट्रांसपोर्टर रोज नई मांगें रख रहे हैं, जिन्हें मानना संभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि तमाम क्षेत्रीय एसोसिएशन के हड़ताल से तौबा कर लेने के बाद हड़ताली ट्रांसपोर्टरों की हिम्मत टूटने ही वाली है। उन्होंने हड़ताल को राष्ट्रविरोधी भी बताया।
संवाददाताओं से बातचीत में ब्रह्मा दत्त ने कहा कि हड़ताल से निपटने के लिए 15-20 लाख ट्रकों का संचालन जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस संबंध में विचार के लिए राज्यों के परिवहन मंत्रियों को सोमवार को दिल्ली बुलाया गया है। इस बैठक में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपायों पर चर्चा होगी। परमिट संबंधी ट्रांसपोर्टरों की मांग पर भी चर्चा होने की संभावना है।
परिवहन सचिव के मुताबिक हरियाणा के गुड़गांव, राजस्थान के जयपुर, महाराष्ट्र के पुणे तथा कर्नाटक के हासन समेत अनेक नगरों में क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने हड़ताल खत्म कर दी है। ट्रक मालिकों के संगठन आल इंडिया कंफेडरेशन आफ गुड्स वेहिकल ओनर्स [आइकोगोआ] ने हड़ताल से निपटने में सरकार को पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया है। यह संगठन शुरू से ही हड़ताल से अलग है।
सरकार ट्रांसपोर्टरों के साथ पुचकार-दुत्कार की दोहरी नीति अपना रही है। परिवहन मंत्रियों की बैठक बुलाना भी इसी का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इससे जमीनी हकीकत का पता चलेगा और आगे की कार्रवाई में सहूलियत रहेगी। यदि राज्य सरकारों से सहयोग मिला और आइकोगोवा के ट्रक चल निकले तो आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस [एआईएमटीसी] की अकड़ टूटने में वक्त नहीं लगेगा। वैसे भी तेल कंपनियों के अधिकारियों की ही तरह हड़ताली ट्रांसपोर्टरों के साथ भी जनता की रत्ती भर सहानुभूति नहीं है। इसलिए हड़ताल खत्म होना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
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