एक दिन वह भी राष्ट्रपति भवन में खड़ी थी ..और उसके बेटे को कीर्ति चक्र दिया जा रहा था। वह भव्य कक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] के शहीद कमांडो की वीर गाथाओं से गूंज रहा था, लेकिन अब उस कमांडो की मां के लिए ये गाथाएं एक छलावा बनकर रह गई हैं। कीर्ति चक्र से मिली क्षणिक कीर्ति कब की ओझल हो चुकी है और आतंकियों से लड़कर प्राणों की आहूति देने वाले कमांडो की मां के पास अब सुनाने के लिए उन उपेक्षाओं के किस्से बचे हैं, जिनका सामना उन्हें इस सम्मान का प्रशस्ति पत्र तक पाने की विफल कोशिश के दौरान करना पड़ा।
सुरेशी देवी के कानों में वे शब्द आज भी ताजा हैं ..एनएसजी के इस जांबाज कमांडो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अक्षरधाम में आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। कमांडो सुरजन सिंह भंडारी को चार गोलियां लगीं। उनके सिर में भी एक गोली लगी, लेकिन वह आतंकियों से जूझते रहे। कमांडो सुरजन ने अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
छह साल पहले बोले गए इन शब्दों से सुरेशी देवी का दिल चाक चाक हो गया था और आंखों में आंसुओं का समंदर उमड़ आया था, लेकिन आज ये सारे शब्द उन्हें खोखले लगते हैं। इन बीते वर्षो में सरकार की घोषणाओं ने शहीद कमांडों की मां को दर-दर भटकाया है और कीर्तिचक्र सम्मान के साथ पेट्रोल पंप दिए जाने का वादा तो क्या पूरा होता, उन्हें आज तक इस चक्र के साथ मिलने वाला प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कमांडो सुरजन सिंह भंडारी उन सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर में घुसे आतंकियों से लड़ने के लिए भेजा गया था। आतंकियों से लड़ते हुए यह कमांडो बुरी तरह घायल हो गया और उसके सिर में भी गोली लगी। कमांडो सुरजन बीस महीने तक नीम बेहोशी की हालत में रहे और तिल तिल कर मरते रहे। आखिरकार 19 मई 2003 को सुरजन ने दमतोड़ दिया। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई और तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के लिए पेट्रोल पंप देने का भी वादा किया था।
दिन बीतने के साथ वादे की इबारतें मंद पड़ती गई। एनएसजी के अधिकारी कमांडो के परिवार को दिलासा देते रहे। अब छह साल बाद पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सुरेशी देवी का बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप तो उन्हें आवंटित हो गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय से उनके नाम का फंड ही नहीं निर्धारित हुआ है, जब तक यह राशि तय नहीं होती तब तक पेट्रोल पंप नहीं लग सकता। सुरेशी देवी ऐसे जवाब से आहत हैं।
उन्हें तो यह भी लगने लगा है कि कहीं केंद्र में सरकार बदलने की सजा तो उन्हें नहीं मिल रही है। वह कहती हैं ..हमें नहीं पता क्या हो रहा है। किस पार्टी की सरकार है इससे हमें क्या लेना देना। सुरजन तो किसी पार्टी का नहीं था। सरकार बदलने की सजा हमें क्यों मिल रही है।
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