सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

आईपीएस के काडर रिव्यू प्रस्ताव में पांच जिले गायब

भोपाल। प्रदेश में पचास जिले हैं। यह प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा आईपीएस के काडर रिव्यू हेतु केन्द्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में प्रदेश के पैंतालिस जिले के लिए ही एसपी मांगे गए है। इसका पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर दूरगामी असर पड़ेगा और नीचे स्तर पर हमेशा अधिकारियों की कमी बनी रहेगी। इस प्रस्ताव से गृह विभाग के कुछ अधिकारी खुश हो सकते हैं कि उन्होने जो चाहा वही प्रस्ताव भेजा। पुलिस मुख्यालय व पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी की बात नहीं सुनी,लेकिन इसका सीधा असर प्रदेश की सुरक्षा पर पड़ेगा। वैसे भी प्रदेश में जूनियर पुलिस अधिकारियों की कमी है।
जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियों का काडर रिव्यू साढ़े पांच साल पहले 26 अगस्त 2003 को हुआ था। नियमानुसार पांच साल में काडर रिव्यू हो जाना चाहिए,लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आईपीएस का कैडर रिव्यू नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पूर्व काड़र रिव्यू के लिए भेजे गए पत्र को पहले दवाकर रखा गया और बाद में इस पर कार्रवाई शुरू की गई। काडर रिव्यू को लेकर एक साल तक गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा। इस दौरान सारी लिखा पढ़ी गृह विभाग तक ही सीमित रही। पुलिस मुख्यालय के किसी भी प्रस्ताव को गृह मंत्री तथा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया। नियमानुसार अखिलभारतीय सेवा के अधिकारियों का मामला मुख्यमंत्री तक भेजना चाहिए। लेकिन गृह विभाग ने अपनी पूरी ताकत इस बात पर लगाई कि काडर रिव्यू में आईपीएस के पद किस तरह कम किए जाएं। यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने सत्रह जुलाई 2008 को जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गृह विभाग ने उस प्रस्ताव पर भी अपनी असहमति व्यक्त कर पुलिस मुख्यालय से दुबारा प्रस्ताव मांगा। गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक का एक अतिरिक्त पद स्वीकृति करने की सहमति तो दे दी,लेकिन महानिदेशक जेल के स्थान पर महानिदेशक जेएनपीए सागर का पद स्वीकृत करने की सहमति दी। गृह विभाग द्वारा काडर रिव्यू करने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ईओडब्लयू, लोकायुक्त तथा परिवहन आयुक्त व परिवहन उपायुक्त के पद भी काडर में शामिल नहीं किया जाए,जबकि उक्त पदों पर लंबे समय से पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्य कर रहे हैं। गृह विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त व राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के पद गृह विभाग के न होकर सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अत: यह भी नहीं कहा जा सकता कि ये पद सदैव भापुसे के अधिकारियों से भरे जावेंगे। परिवहन आयुक्त का पद परिवहन विभाग का है। यह पद प्राय: सभी प्रदेशों में भाप्रसे का है। इसकी विषय वस्तु भी ऐसी नहीं है कि यह कहा जा सके कि यह कोर पुलिस फंकशन है। इस कारण उक्त पदों को ़गृह विभाग के काडर में शामिल नही किया जा सकता। गृह विभाग ने काडर रिव्यू में आईपीएस के 316 पद करने संबंधी प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और 271 पदों का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा।
जिन पदों का प्रस्ताव में उल्लेख नहीं है वे हैं आईजी शहडोल रेंज,एसपी अशोकनगर,बुरहानपुर,अ9 नूपपुर,अलीराजपुर तथा सिंगरौली। इसके अलावा पन्द्रह रेंज डीआईजी के पदों का भी उल्लेख नही है।
इन पदों को नही माना गया काडर पद
आयुक्त परिवहन,उपायुक्त परिवहन , डीजी ईओडब्ल्यू,आईजी ईओडब्ल्यू,डीआईजी ईओडब्ल्यू तथा चार एसपी ईओडब्ल्यू। इसके अलावा डीजी लोकायुक्त,आईजी लोकायुक्त,डीआईजी लोकायुक्त तथा एसपी लोकायुक्त।

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