तमिल विद्रोहियों के अंतिम गढ़ मुल्लाईतिवु की घेराबंदी कर रही श्रीलंकाई सेना ने आशंका जताई है कि लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण देश छोड़कर भाग गया है।
इस बीच सरकार ने देश के अशांत उत्तरी क्षेत्र में सैन्य अभियान के बाद राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया है। भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उन्हें यह आश्वासन दिया।
श्रीलंका सेना के प्रमुख सरथ फोनसेका ने रविवार को यहां कहा, 'इस बात के आसार कम ही हैं कि लिंट्टे प्रमुख श्रीलंका में हो। लेकिन, यह भी तय है कि वह भारत नहीं गया। भारत सरकार उसे वहां रुकने की इजाजत नहीं देगी।' उल्लेखनीय है कि प्रभाकरण 1991 में राजीव गांधी की हत्या के मामले में वांछित है। प्रभाकरण का संगठन लिबरेशन टाइगर आफ तमिल ईलम [लिंट्टे] यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में भी आतंकी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध है। सेना प्रमुख ने कहा कि लिट्टे पर हमारा शिकंजा कसता जा रहा है। उसके तमाम ठिकानों पर सेना ने कब्जा कर लिया है।
इससे पहले किलिनोच्चि और एलीफैंट पास पर कब्जा करने के बाद सेना ने प्रभाकरण के मुल्लाईतिवु में होने की बात कही थी। स्थानीय मीडिया में कहा जा रहा है कि प्रभाकरण जमीन से 30 फुट नीचे एक वातानुकूलित बंकर में रह रहा है और रात में ही बाहर निकलता है।
श्रीलंका की सैन्य टुकड़ियां रविवार को मुल्लाईतिवु के और करीब पहुंच गईं। सेना ने दावा किया कि उसकी ताजा कार्रवाई में कम से कम 31 लिंट्टे विद्रोही मारे गए। सेना ने लिंट्टे की एक नौका बनाने वाले कारखाने को भी ध्वस्त करने का दावा किया।
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