कल्याण सिंह के उग्र तेवरों से फूट रही चिंगारियां अब भाजपा को झुलसने लगी हैं। उनके पुत्र राजवीर सिंह ने बुलंदशहर सीट के घोषित उम्मीदवार अशोक प्रधान को क्षेत्र में घुसने नहीं देने की कसम खा ली है। इससे माहौल ऐसा बन गया है कि पार्टी कहने को तो 2009 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है, लेकिन परिदृश्य 1999 जैसा लगने लगा है, जब कल्याण सिंह इसी तरह चिंगारियां छोड़ रहे थे।
शनिवार को बुलंदशहर में राजवीर सिंह और अशोक प्रधान समर्थकों के बीच टकराव की नौबत आ जाने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जाहिर है कि कल्याण सिंह जैसे कद्दावर नेता के क्षेत्र में पार्टी की फजीहत हुई, लेकिन पूर्वमंत्री लालजी टंडन कहते हैं कि इसमें अनुशासनहीनता जैसी कोई बात नहीं। एक को टिकट मिलने पर अन्य दावेदारों का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। टंडन के मुताबिक, नामांकन होने तक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया अनुशासनहीनता की श्रेणी में नहीं आती। अशोक प्रधान इस तर्क से सहमत नहीं। उन्होंने जागरण से कहा कि पार्टी के भीतर प्रतिक्रिया वाजिब है, लेकिन सड़क पर कतई नहीं।
प्रधान कहते हैं कि शनिवार को राजवीर सिंह समाजवादी पार्टी द्वारा प्रयोजित गुंडे लेकर उनसे टकराने आए थे। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से राजवीर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
अशोक प्रधान को बुलंदशहर सीट पर टिकट देने का विरोध खुद कल्याण सिंह कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रधान ने भितरघात करके उनके पुत्र राजवीर को डिबाई सीट पर हरवा दिया था। कल्याण सिंह घोषणा कर चुके हैं कि वह बुलंदशहर सीट पर प्रधान को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे, यद्यपि प्रधान का दावा है कि कल्याण सिंह के विरोध के बावजूद वह चुनाव जीत जाएंगे।
बहरहाल, रविवार को वरिष्ठ नेता लालजी टंडन द्वारा खुलकर राजवीर सिंह की तरफदारी करने से संकेत मिलने लगे कि इस प्रकरण के बहाने पार्टी की गुटबाजी दोबारा सिर उठाने लगी है। टंडन से पूछा गया कि क्या प्रधान की सीट बदली जा सकती है? उन्होंने कहा कि नामांकन से पहले कुछ भी संभव है। कल्याण सिंह यही मांग कर रहे हैं।
उधर, प्रधान का कहना है कि राजवीर सिंह का आचरण गंभीर घटना है। केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व के अलावा खुद कल्याण सिंह को भी सोचना चाहिए कि पार्टी अनुशासन को लेकर उनके बेटे और किसी अन्य कार्यकर्ता के लिए क्या अलग-अलग नियम हैं? कल्याण सिंह द्वारा शनिवार की घटना को जन-प्रतिक्रिया करार दिए जाने पर प्रधान ने सवाल उठाया कि राजवीर इतने लोकप्रिय हैं, तो डिबाई में चुनाव कैसे हार गए?
विरोध पूरी तरह जायज : कल्याण कल्याण सिंह नहीं मानते कि उनके पुत्र राजवीर सिंह ने कोई अनुशासनहीनता की। शनिवार की घटना को पूरी तरह जायज ठहराते हुए उन्होंने जागरण से कहा कि जिस अशोक प्रधान ने विधानसभा चुनाव में भितरघात करके भाजपा को छह-सात सीटों पर हरवाया, उसे बुलंदशहर की जनता क्षेत्र में कैसे घुसने देगी।
उन्होंने कहा कि यह राजवीर का अपना क्षेत्र है, लिहाजा वह भी मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन असलियत यह है कि पूरे संसदीय क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा थे कि प्रधान की बुलंदशहर में घुसने की हिम्मत नहीं पड़ी।
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