दंगे नियंत्रित करने के लिए विशेषतौर पर प्रशिक्षित त्वरित कार्रवाई बल [आरएएफ] के नीली वर्दी वाले जवान अब आतंकी हमलों के स्थलों सहित जान जोखिम में डालने वाले अन्य अभियानों में बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करेंगे।
ये बुलेट पू्रफ आरएएफ के चुनिंदा कर्मियों को दी जाएगी जो जब तक दंगों से निपटने के दौरान अलग तरह की जैकेट पहनते थे। आरएएफ के महानिरीक्षक जे सी डबास ने कहा कि त्वरित कार्रवाई बल की भूमिका हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है और मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में यह भूमिका और बढ़ रही है। मुंबई हमलों जैसी स्थितियों और जम्मू-कश्मीर में जान जोखिम में डालने वाले विभिन्न अभियानों में हमारे कर्मियों की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ समय की जरुरत है। आरएएफ के 12000 में से 30 फीसदी कर्मियों को ऐसी नई जैकेटें दी जाएगी।
मुंबई में आतंकी हमलों के स्थलों के आसपास के क्षेत्र की घेराबंदी करने वाली आरएएफ इस अनुभव को राष्ट्रीय राजधानी में स्थापित बल के नए संग्रहालय में अपने इतिहास में शामिल करेगी। मुंबई पुलिस के बाद आरएएफ ऐसा पहला विशेष बल था जो नवी मुंबई से ताज होटल पहुंचा था। डबास ने कहा कि मुंबई की घटना बल के इतिहास में शामिल की जाएगी जहां उसने आतंकियों के बाहर निकलने के रास्ते को बंद करने का काम किया था।
मुंबई के पुलिस आयुक्त के गत 26 नवंबर को तलब किए जाने के बाद मुंबई के पास स्थित बल की 102 वीं बटालियन की ताज होटल, ओबराय [ट्राइडेंट] और नरीमन हाउस में तैनाती की गई थी। बल ने मुंबई स्थित अपनी इकाई से पहले ही घटना के बारे में राष्ट्रीय राजधानी स्थित मुख्यालय में दस्तावेज भेजने को कह दिया है। मुंबई के आतंकी हमलों के दौरान तैनात रहे कर्मियों के चित्रों,दस्तावेजों और समाचारों को आरएएफ के संग्रहालय का हिस्सा बनाया जाएगा। बल की स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी।
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