मानव तस्करी में महिलाएं अप्रत्याशित रूप से अहम भूमिका निभा रही हैं। इनमें ज्यादातर ऐसी ही महिलाएं शामिल होती हैं जो खुद इसका शिकार रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
यूनाइटेड नेशंस आफिस आन ड्रग्स एंड क्राइम्स [यूएनओडीओसी] के मुताबिक सूचना उपलब्ध कराने वाले 30 प्रतिशत देशों में मानव तस्करी में महिलाओं की भागीदारी आश्चर्यजनक रूप से सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक पूर्वी यूरोप और मध्य एशियाई देशों में मानव तस्करी के 60 प्रतिशत मामलों में महिलाएं जिम्मेदार होती हैं।
यूएनओडीओसी प्रमुख एंटोनियो मारिया कोस्टा ने बताया कि इन क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा महिलाओं की तस्करी आम बात है। हैरानी की बात तो यह है कि मानव तस्करी के शिकार हुए लोग ही तस्कर बन गए हैं। इसके मनोवैज्ञानिक, वित्ताीय के कारणों को समझने की जरूरत है जिससे यह पता लग सके कि क्यों महिलाएं ही अन्य महिलाओं को इस गर्त में धकेलती हैं। कोस्टा कहते हैं, 'बदले की भावना इसकी एक वजह हो सकती है।'
मानव तस्करी का जाल कहां तक फैला है इसका पता लगाने के लिए यूएनओडीओसी ने 155 देशों से सूचनाएं जुटाई। इसके मुताबिक अभी भी दुनिया के ज्यादातर भाग में मानव तस्करी से जुड़े मामलों में वृद्धि हो रही है।
शनिवार, 28 फ़रवरी 2009
पाक से भारत में हेरोइन की तस्करी में इजाफा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में हेरोइन की तस्करी में पिछले दो सालों में इजाफा हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार तस्करी करने के आरोप में अक्सर पश्चिम अफ्रीकी नागरिक पकड़े जाते रहे है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में नॉरकोटिक्स विभाग में सहायक मंत्री इंडेविड टी.थॉमसन ने शुक्रवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि मादक पदार्थो की तस्करी का चलन बढ़ सकता है क्योंकि व्यापार और यात्रा में वृद्धि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खुल गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गत कुछ वर्षो में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थो की बरामदगी की घटनाएं ज्यादा नहीं हुई लेकिन छोटे स्तर पर तस्करी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफीम और भांग जैसे मादक पदार्थ भारतीय बाजार में नेपाल के रास्ते पहुंच रहे है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में भारत में 2,226 किलोग्राम अफीम जब्त की गई थी, वहीं 30 सितंबर 2008 तक भारत सरकार ने 643 किलोग्राम अफीम जब्त की थी।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में नॉरकोटिक्स विभाग में सहायक मंत्री इंडेविड टी.थॉमसन ने शुक्रवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि मादक पदार्थो की तस्करी का चलन बढ़ सकता है क्योंकि व्यापार और यात्रा में वृद्धि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खुल गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गत कुछ वर्षो में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थो की बरामदगी की घटनाएं ज्यादा नहीं हुई लेकिन छोटे स्तर पर तस्करी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफीम और भांग जैसे मादक पदार्थ भारतीय बाजार में नेपाल के रास्ते पहुंच रहे है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में भारत में 2,226 किलोग्राम अफीम जब्त की गई थी, वहीं 30 सितंबर 2008 तक भारत सरकार ने 643 किलोग्राम अफीम जब्त की थी।
अंतिम संस्कार के बीच मधुमखियों का हमला
सतना/भोपाल। मध्यप्रदेश में सतना जिले के एक गांव में एक वृद्ध का अंतिम संस्कार करने पहुंचे लोगों पर कल मधुमखियों ने हमला कर दिया। करीब दो घंटे बाद चादरें ओढ़कर लोगों ने अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी की।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र के गलबल गांव में 65 वर्षीय राजबहादुर पाण्डेय की मंगलवार की रात मृत्यु हो गयी
थी। कल गांव के बाहर एक बगीचे के निकट उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की गयी थीं। उन्होंने बताया कि जैसे ही चिता से धुंआ उठना
शुरू हुआ तो बगीचे बैठी मधुमखियों ने अंतिम संस्कार के लिये जमा हुए लोगों पर हमला कर दिया, जिससे घबराकर लोग शव को जलता
छोड़ जान बचाकर भाग निकले। करीब दो घंटे बाद परिवार के लोगों ने चादरें ओढ़कर अंतिम संस्कार की रस्मे पूरी कीं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र के गलबल गांव में 65 वर्षीय राजबहादुर पाण्डेय की मंगलवार की रात मृत्यु हो गयी
थी। कल गांव के बाहर एक बगीचे के निकट उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की गयी थीं। उन्होंने बताया कि जैसे ही चिता से धुंआ उठना
शुरू हुआ तो बगीचे बैठी मधुमखियों ने अंतिम संस्कार के लिये जमा हुए लोगों पर हमला कर दिया, जिससे घबराकर लोग शव को जलता
छोड़ जान बचाकर भाग निकले। करीब दो घंटे बाद परिवार के लोगों ने चादरें ओढ़कर अंतिम संस्कार की रस्मे पूरी कीं।
एक करोड़ की फिरौती के लिये अपहृत बालक रिहा हुआ
दमोह/भोपाल। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक विवाह समारोह में शामिल होने आये एक परिवार से एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगने के लिये अपहृत किया गया बालक पुलिस की नाकेबंदी
के कारण रिहा कर दिया गया।
नगर पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल ने बताया कि शहर के जे.पी.बी. कन्या शाला में बुधवार को सागर से चौरसिया परिवार विवाह समारोह में शामिल होने आया था। रात में विवाह समारोह में शामिल होने के के दौरान 11 वर्षीय अमन का तीन अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर लिया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा घेराबंदी कर ली। पुलिस घेराबंदी देखकर अपहरणकर्ता जिले के हटा क्षेत्र में बालक को छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर
लिया।
के कारण रिहा कर दिया गया।
नगर पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल ने बताया कि शहर के जे.पी.बी. कन्या शाला में बुधवार को सागर से चौरसिया परिवार विवाह समारोह में शामिल होने आया था। रात में विवाह समारोह में शामिल होने के के दौरान 11 वर्षीय अमन का तीन अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर लिया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा घेराबंदी कर ली। पुलिस घेराबंदी देखकर अपहरणकर्ता जिले के हटा क्षेत्र में बालक को छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर
लिया।
पीडब्लूडी इंजीनियर के यहां आयकर का छापा
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग में पदस्थ एक कार्यपालन इंजीनियर के यहां कल शाम आयकर विभाग ने छापा मारा। आज दिनभर चली छापे की कार्रवाई के दौरान इंजीनियर एवं उनकी पत्नी के आय के ज्ञात स्त्रोतों से काफी अधिक नकद, बीमा पालिसी, बैंक बैलेंस एवं संपत्ति का पता चला।
विभागीय सूत्रों ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती जांच-पड़ताल में इस इंजीनियर और उसके परिजनों के बैंक खातों में करीब सवा करोड़ रुपए के बैंक ड्राफ्ट और चेक जमा होने का खुलासा हुआ है।
पत्नी के नाम पर लाखों की बीमा पालिसी है। इस कार्यवाही में मिले दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति मिलने की संभावना है।
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की टीम ने कल इस कार्यपालन इंजीनियर कोलार रोड के फार्च्यून स्टेट स्थित निवास पर छापे की कार्रवाई की। उनके पास लोक निर्माण विभाग में भोपाल शहर के सर्किल दो के अधीक्षण यंत्री का प्रभार भी हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पीडब्लूडी के कार्यपालन इंजीनियर के यहां इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें बैंक पास बुक और उसका स्टेटमेंट शामिल हैं और इसमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र है।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर के पास से तीन लाख रुपए नकद और लाखों रुपए की बीमा पालिसियां, बांड, डिबेंचर आयकर अधिकारियों के हाथ लगे। तीन बैंक खातों में क्रमश: आठ लाख, पांच लाख और तीन लाख रुपए जमा हैं।
इसके अलावा एक लाकर मिला है, जिसके बारे में इंजीनियर ने स्वीकार किया है कि इसमें भी नकद राशि एवं जेवरात हैं। इसके साथ ही अनेक स्थानों पर एक करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की चल-अचल संपत्ति के कागजात भी सामने आए हैं।
विभागीय सूत्रों ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती जांच-पड़ताल में इस इंजीनियर और उसके परिजनों के बैंक खातों में करीब सवा करोड़ रुपए के बैंक ड्राफ्ट और चेक जमा होने का खुलासा हुआ है।
पत्नी के नाम पर लाखों की बीमा पालिसी है। इस कार्यवाही में मिले दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति मिलने की संभावना है।
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की टीम ने कल इस कार्यपालन इंजीनियर कोलार रोड के फार्च्यून स्टेट स्थित निवास पर छापे की कार्रवाई की। उनके पास लोक निर्माण विभाग में भोपाल शहर के सर्किल दो के अधीक्षण यंत्री का प्रभार भी हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पीडब्लूडी के कार्यपालन इंजीनियर के यहां इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें बैंक पास बुक और उसका स्टेटमेंट शामिल हैं और इसमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र है।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर के पास से तीन लाख रुपए नकद और लाखों रुपए की बीमा पालिसियां, बांड, डिबेंचर आयकर अधिकारियों के हाथ लगे। तीन बैंक खातों में क्रमश: आठ लाख, पांच लाख और तीन लाख रुपए जमा हैं।
इसके अलावा एक लाकर मिला है, जिसके बारे में इंजीनियर ने स्वीकार किया है कि इसमें भी नकद राशि एवं जेवरात हैं। इसके साथ ही अनेक स्थानों पर एक करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की चल-अचल संपत्ति के कागजात भी सामने आए हैं।
सोमवार, 2 फ़रवरी 2009
गोधरा दंगे: गुजरात की मंत्री फरार घोषित
गोधरा काड के बाद भड़के गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में विशेष जाच दल ने गुजरात सरकार की महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री माया बेन कोडनानी और विहिप नेता जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर दिया है।
गुजरात सरकार और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस मुद्दे का गरमाना मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने राजनीतिक विरोधियों पर पलटवार का एक और मौका दे जाएगा।
गुजरात दंगों की जाच के लिए गठित विशेष जाच दल के समक्ष गवाहों ने नरोड़ा गाम दंगे में कोडनानी और विहिप नेता जयदीप के लिप्त होने का आरोप लगाया था। गत दिसंबर में एसआईटी ने इन दोनों से पूछताछ की थी। इसमें कोडनानी ने बताया था कि वह 28 फरवरी की इस घटना के दिन सरकारी अस्पताल में भर्ती थीं। एसआईटी के एक अधिकारी के अनुसार जाच के बाद एसआईटी ने 29 व 31 जनवरी को उन्हें फिर हाजिर होने के लिए समन भेजा। लेकिन, गांधीनगर मंत्री आवास और अहमदाबाद स्थित घर पर उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस दौरान मंत्री का मोबाइल भी बंद होने के कारण उनके पूछताछ नहीं हो सकी। एसआईटी ने सोमवार को कोडनानी और जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर उनकी तलाश तेज कर दी है।
उधर, मंत्री के कार्यालय से संपर्क करने पर पता चला कि वे वलसाड जिले में महिला सम्मेलनों में व्यस्त है। बचाव पक्ष के वकील मीतेश अमीन ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात दंगों के दौरान नरोड़ा गाम में 28 फरवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आरोप पत्र में माया बेन समेत 24 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की थी। माया बेन नरोड़ा विधानसभा से तीन बार विधायक चुनी गई है। इस मामले की जाच एसआईटी कर रही है। जाच टीम का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर. के. राघवन इस समिति के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सी. डी. सत्पथी समेत गुजरात कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस इसके सदस्य है।
गुजरात सरकार और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस मुद्दे का गरमाना मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने राजनीतिक विरोधियों पर पलटवार का एक और मौका दे जाएगा।
गुजरात दंगों की जाच के लिए गठित विशेष जाच दल के समक्ष गवाहों ने नरोड़ा गाम दंगे में कोडनानी और विहिप नेता जयदीप के लिप्त होने का आरोप लगाया था। गत दिसंबर में एसआईटी ने इन दोनों से पूछताछ की थी। इसमें कोडनानी ने बताया था कि वह 28 फरवरी की इस घटना के दिन सरकारी अस्पताल में भर्ती थीं। एसआईटी के एक अधिकारी के अनुसार जाच के बाद एसआईटी ने 29 व 31 जनवरी को उन्हें फिर हाजिर होने के लिए समन भेजा। लेकिन, गांधीनगर मंत्री आवास और अहमदाबाद स्थित घर पर उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस दौरान मंत्री का मोबाइल भी बंद होने के कारण उनके पूछताछ नहीं हो सकी। एसआईटी ने सोमवार को कोडनानी और जयदीप पटेल को भगोड़ा घोषित कर उनकी तलाश तेज कर दी है।
उधर, मंत्री के कार्यालय से संपर्क करने पर पता चला कि वे वलसाड जिले में महिला सम्मेलनों में व्यस्त है। बचाव पक्ष के वकील मीतेश अमीन ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात दंगों के दौरान नरोड़ा गाम में 28 फरवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आरोप पत्र में माया बेन समेत 24 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की थी। माया बेन नरोड़ा विधानसभा से तीन बार विधायक चुनी गई है। इस मामले की जाच एसआईटी कर रही है। जाच टीम का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर. के. राघवन इस समिति के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सी. डी. सत्पथी समेत गुजरात कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस इसके सदस्य है।
आईपीएस के काडर रिव्यू प्रस्ताव में पांच जिले गायब
भोपाल। प्रदेश में पचास जिले हैं। यह प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा आईपीएस के काडर रिव्यू हेतु केन्द्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में प्रदेश के पैंतालिस जिले के लिए ही एसपी मांगे गए है। इसका पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर दूरगामी असर पड़ेगा और नीचे स्तर पर हमेशा अधिकारियों की कमी बनी रहेगी। इस प्रस्ताव से गृह विभाग के कुछ अधिकारी खुश हो सकते हैं कि उन्होने जो चाहा वही प्रस्ताव भेजा। पुलिस मुख्यालय व पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी की बात नहीं सुनी,लेकिन इसका सीधा असर प्रदेश की सुरक्षा पर पड़ेगा। वैसे भी प्रदेश में जूनियर पुलिस अधिकारियों की कमी है।
जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियों का काडर रिव्यू साढ़े पांच साल पहले 26 अगस्त 2003 को हुआ था। नियमानुसार पांच साल में काडर रिव्यू हो जाना चाहिए,लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आईपीएस का कैडर रिव्यू नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पूर्व काड़र रिव्यू के लिए भेजे गए पत्र को पहले दवाकर रखा गया और बाद में इस पर कार्रवाई शुरू की गई। काडर रिव्यू को लेकर एक साल तक गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा। इस दौरान सारी लिखा पढ़ी गृह विभाग तक ही सीमित रही। पुलिस मुख्यालय के किसी भी प्रस्ताव को गृह मंत्री तथा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया। नियमानुसार अखिलभारतीय सेवा के अधिकारियों का मामला मुख्यमंत्री तक भेजना चाहिए। लेकिन गृह विभाग ने अपनी पूरी ताकत इस बात पर लगाई कि काडर रिव्यू में आईपीएस के पद किस तरह कम किए जाएं। यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने सत्रह जुलाई 2008 को जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गृह विभाग ने उस प्रस्ताव पर भी अपनी असहमति व्यक्त कर पुलिस मुख्यालय से दुबारा प्रस्ताव मांगा। गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक का एक अतिरिक्त पद स्वीकृति करने की सहमति तो दे दी,लेकिन महानिदेशक जेल के स्थान पर महानिदेशक जेएनपीए सागर का पद स्वीकृत करने की सहमति दी। गृह विभाग द्वारा काडर रिव्यू करने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ईओडब्लयू, लोकायुक्त तथा परिवहन आयुक्त व परिवहन उपायुक्त के पद भी काडर में शामिल नहीं किया जाए,जबकि उक्त पदों पर लंबे समय से पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्य कर रहे हैं। गृह विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त व राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के पद गृह विभाग के न होकर सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अत: यह भी नहीं कहा जा सकता कि ये पद सदैव भापुसे के अधिकारियों से भरे जावेंगे। परिवहन आयुक्त का पद परिवहन विभाग का है। यह पद प्राय: सभी प्रदेशों में भाप्रसे का है। इसकी विषय वस्तु भी ऐसी नहीं है कि यह कहा जा सके कि यह कोर पुलिस फंकशन है। इस कारण उक्त पदों को ़गृह विभाग के काडर में शामिल नही किया जा सकता। गृह विभाग ने काडर रिव्यू में आईपीएस के 316 पद करने संबंधी प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और 271 पदों का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा।
जिन पदों का प्रस्ताव में उल्लेख नहीं है वे हैं आईजी शहडोल रेंज,एसपी अशोकनगर,बुरहानपुर,अ9 नूपपुर,अलीराजपुर तथा सिंगरौली। इसके अलावा पन्द्रह रेंज डीआईजी के पदों का भी उल्लेख नही है।
इन पदों को नही माना गया काडर पद
आयुक्त परिवहन,उपायुक्त परिवहन , डीजी ईओडब्ल्यू,आईजी ईओडब्ल्यू,डीआईजी ईओडब्ल्यू तथा चार एसपी ईओडब्ल्यू। इसके अलावा डीजी लोकायुक्त,आईजी लोकायुक्त,डीआईजी लोकायुक्त तथा एसपी लोकायुक्त।
जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियों का काडर रिव्यू साढ़े पांच साल पहले 26 अगस्त 2003 को हुआ था। नियमानुसार पांच साल में काडर रिव्यू हो जाना चाहिए,लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आईपीएस का कैडर रिव्यू नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पूर्व काड़र रिव्यू के लिए भेजे गए पत्र को पहले दवाकर रखा गया और बाद में इस पर कार्रवाई शुरू की गई। काडर रिव्यू को लेकर एक साल तक गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा। इस दौरान सारी लिखा पढ़ी गृह विभाग तक ही सीमित रही। पुलिस मुख्यालय के किसी भी प्रस्ताव को गृह मंत्री तथा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया। नियमानुसार अखिलभारतीय सेवा के अधिकारियों का मामला मुख्यमंत्री तक भेजना चाहिए। लेकिन गृह विभाग ने अपनी पूरी ताकत इस बात पर लगाई कि काडर रिव्यू में आईपीएस के पद किस तरह कम किए जाएं। यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने सत्रह जुलाई 2008 को जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गृह विभाग ने उस प्रस्ताव पर भी अपनी असहमति व्यक्त कर पुलिस मुख्यालय से दुबारा प्रस्ताव मांगा। गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक का एक अतिरिक्त पद स्वीकृति करने की सहमति तो दे दी,लेकिन महानिदेशक जेल के स्थान पर महानिदेशक जेएनपीए सागर का पद स्वीकृत करने की सहमति दी। गृह विभाग द्वारा काडर रिव्यू करने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ईओडब्लयू, लोकायुक्त तथा परिवहन आयुक्त व परिवहन उपायुक्त के पद भी काडर में शामिल नहीं किया जाए,जबकि उक्त पदों पर लंबे समय से पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्य कर रहे हैं। गृह विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकायुक्त व राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के पद गृह विभाग के न होकर सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अत: यह भी नहीं कहा जा सकता कि ये पद सदैव भापुसे के अधिकारियों से भरे जावेंगे। परिवहन आयुक्त का पद परिवहन विभाग का है। यह पद प्राय: सभी प्रदेशों में भाप्रसे का है। इसकी विषय वस्तु भी ऐसी नहीं है कि यह कहा जा सके कि यह कोर पुलिस फंकशन है। इस कारण उक्त पदों को ़गृह विभाग के काडर में शामिल नही किया जा सकता। गृह विभाग ने काडर रिव्यू में आईपीएस के 316 पद करने संबंधी प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और 271 पदों का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा।
जिन पदों का प्रस्ताव में उल्लेख नहीं है वे हैं आईजी शहडोल रेंज,एसपी अशोकनगर,बुरहानपुर,अ9 नूपपुर,अलीराजपुर तथा सिंगरौली। इसके अलावा पन्द्रह रेंज डीआईजी के पदों का भी उल्लेख नही है।
इन पदों को नही माना गया काडर पद
आयुक्त परिवहन,उपायुक्त परिवहन , डीजी ईओडब्ल्यू,आईजी ईओडब्ल्यू,डीआईजी ईओडब्ल्यू तथा चार एसपी ईओडब्ल्यू। इसके अलावा डीजी लोकायुक्त,आईजी लोकायुक्त,डीआईजी लोकायुक्त तथा एसपी लोकायुक्त।
दर-दर भटक रही है शहीद कमांडो की मां
एक दिन वह भी राष्ट्रपति भवन में खड़ी थी ..और उसके बेटे को कीर्ति चक्र दिया जा रहा था। वह भव्य कक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] के शहीद कमांडो की वीर गाथाओं से गूंज रहा था, लेकिन अब उस कमांडो की मां के लिए ये गाथाएं एक छलावा बनकर रह गई हैं। कीर्ति चक्र से मिली क्षणिक कीर्ति कब की ओझल हो चुकी है और आतंकियों से लड़कर प्राणों की आहूति देने वाले कमांडो की मां के पास अब सुनाने के लिए उन उपेक्षाओं के किस्से बचे हैं, जिनका सामना उन्हें इस सम्मान का प्रशस्ति पत्र तक पाने की विफल कोशिश के दौरान करना पड़ा।
सुरेशी देवी के कानों में वे शब्द आज भी ताजा हैं ..एनएसजी के इस जांबाज कमांडो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अक्षरधाम में आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। कमांडो सुरजन सिंह भंडारी को चार गोलियां लगीं। उनके सिर में भी एक गोली लगी, लेकिन वह आतंकियों से जूझते रहे। कमांडो सुरजन ने अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
छह साल पहले बोले गए इन शब्दों से सुरेशी देवी का दिल चाक चाक हो गया था और आंखों में आंसुओं का समंदर उमड़ आया था, लेकिन आज ये सारे शब्द उन्हें खोखले लगते हैं। इन बीते वर्षो में सरकार की घोषणाओं ने शहीद कमांडों की मां को दर-दर भटकाया है और कीर्तिचक्र सम्मान के साथ पेट्रोल पंप दिए जाने का वादा तो क्या पूरा होता, उन्हें आज तक इस चक्र के साथ मिलने वाला प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कमांडो सुरजन सिंह भंडारी उन सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर में घुसे आतंकियों से लड़ने के लिए भेजा गया था। आतंकियों से लड़ते हुए यह कमांडो बुरी तरह घायल हो गया और उसके सिर में भी गोली लगी। कमांडो सुरजन बीस महीने तक नीम बेहोशी की हालत में रहे और तिल तिल कर मरते रहे। आखिरकार 19 मई 2003 को सुरजन ने दमतोड़ दिया। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई और तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के लिए पेट्रोल पंप देने का भी वादा किया था।
दिन बीतने के साथ वादे की इबारतें मंद पड़ती गई। एनएसजी के अधिकारी कमांडो के परिवार को दिलासा देते रहे। अब छह साल बाद पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सुरेशी देवी का बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप तो उन्हें आवंटित हो गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय से उनके नाम का फंड ही नहीं निर्धारित हुआ है, जब तक यह राशि तय नहीं होती तब तक पेट्रोल पंप नहीं लग सकता। सुरेशी देवी ऐसे जवाब से आहत हैं।
उन्हें तो यह भी लगने लगा है कि कहीं केंद्र में सरकार बदलने की सजा तो उन्हें नहीं मिल रही है। वह कहती हैं ..हमें नहीं पता क्या हो रहा है। किस पार्टी की सरकार है इससे हमें क्या लेना देना। सुरजन तो किसी पार्टी का नहीं था। सरकार बदलने की सजा हमें क्यों मिल रही है।
सुरेशी देवी के कानों में वे शब्द आज भी ताजा हैं ..एनएसजी के इस जांबाज कमांडो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अक्षरधाम में आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। कमांडो सुरजन सिंह भंडारी को चार गोलियां लगीं। उनके सिर में भी एक गोली लगी, लेकिन वह आतंकियों से जूझते रहे। कमांडो सुरजन ने अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
छह साल पहले बोले गए इन शब्दों से सुरेशी देवी का दिल चाक चाक हो गया था और आंखों में आंसुओं का समंदर उमड़ आया था, लेकिन आज ये सारे शब्द उन्हें खोखले लगते हैं। इन बीते वर्षो में सरकार की घोषणाओं ने शहीद कमांडों की मां को दर-दर भटकाया है और कीर्तिचक्र सम्मान के साथ पेट्रोल पंप दिए जाने का वादा तो क्या पूरा होता, उन्हें आज तक इस चक्र के साथ मिलने वाला प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कमांडो सुरजन सिंह भंडारी उन सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर में घुसे आतंकियों से लड़ने के लिए भेजा गया था। आतंकियों से लड़ते हुए यह कमांडो बुरी तरह घायल हो गया और उसके सिर में भी गोली लगी। कमांडो सुरजन बीस महीने तक नीम बेहोशी की हालत में रहे और तिल तिल कर मरते रहे। आखिरकार 19 मई 2003 को सुरजन ने दमतोड़ दिया। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई और तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के लिए पेट्रोल पंप देने का भी वादा किया था।
दिन बीतने के साथ वादे की इबारतें मंद पड़ती गई। एनएसजी के अधिकारी कमांडो के परिवार को दिलासा देते रहे। अब छह साल बाद पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सुरेशी देवी का बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप तो उन्हें आवंटित हो गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय से उनके नाम का फंड ही नहीं निर्धारित हुआ है, जब तक यह राशि तय नहीं होती तब तक पेट्रोल पंप नहीं लग सकता। सुरेशी देवी ऐसे जवाब से आहत हैं।
उन्हें तो यह भी लगने लगा है कि कहीं केंद्र में सरकार बदलने की सजा तो उन्हें नहीं मिल रही है। वह कहती हैं ..हमें नहीं पता क्या हो रहा है। किस पार्टी की सरकार है इससे हमें क्या लेना देना। सुरजन तो किसी पार्टी का नहीं था। सरकार बदलने की सजा हमें क्यों मिल रही है।
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