मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

मेए बचा हूए ...

मैं इसलिए बचा हूँक्योंकि मैं घर में बैठा हूँ.....यदि मैं भी वहाँ होता गेटवे या ताज पर तोआप सब मेरा शोक मना रहे होते।मैं इसलिए बचा हूँ क्योंकि मैंवहाँ नरीमन हाउस में नहीं थाओबरॉय में नहीं था जहाँ गोलियाँ चल रही थीं....जहाँ मौत का महौल था।मैं सच में केवल इसलिए बचा हूँ क्योंकिमैं बच-बच कर रह रहा हूँमैं बच-बच कर जीने का अभ्यासी हो गया हूँजब से पैदा हुआ यही सिखाया गयासब यही कहते पाए गए हैं कि बच के रहनाउधर नहीं जाना, उससे नहीं लड़नाघर में रहनासावधान रहनाअपना ध्यान रखना....और मैंघर में हूँअपना ध्यान रख रहा हूँकिसी से नहीं लड़ रहा हूँबच कर रह रहा हूँइसीलिए अब तकबचा हूँ। इसलिय बचा हूए..

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