मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

बस हमारे खेत तक पानी भिजवा दें शिवराज

भोपाल। समय - दोपहर पौने चार बजे
स्थान - राजधानी का जम्बूरी मैदान
दृश्य एक - भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे इशारे से सामने बेरीकेड्स के पीछे खड़े लोगों को इशारा कर आगे की खाली कुर्सियों की और आने को कहते हैं। बस फिर क्या था। मानो वहां हजारों की संख्या में जमा लोगों को इसी का इंतजार था। वे पुलिस की सख्ती और बेरीकेड्स के बंधन तोड़ आगे की और दौड़ते हैं। फिर जिसे जहां जगह मिलती है, वहां खड़े हो जाते हैं, जो भाग्यशाली होते हैं उन्हें कुर्सी मिल जाती है। अभी एसएएफ का एक जवान उन्हें पीछे हटाने के लिए डंडा उठाता ही है कि भीड़ में से एक साठ का वृद्ध आवाज लगाता है, बेटा एक बार शिवराज मामा को देखने तो दे, बस सिपाही का हाथ नीचे आ जाता है। ऐसे कई नजारे शुक्रवार को जंबूरी मैदान पर कई बार देखने को मिले।
भिंड जिले के अटेर से पहुंचे शिवेन्द्र सिंह तोमर मैदान में हाथ में कागज का एक पुलिंदा लिए घूम रहे थे। इसमें पहले पेज पर मुख्यमंत्री के लिए एक कविता लिखी गई थी, पीछे के पेज पर एक मांग पत्र था। उनका कहना था, बस ये शिवराज सिंह हमारे खेत तक पानी और पहुंचा दें हमारी जिंदगी सुधर जाए।
मुलताई निवासी गंगा बाई मस्कुले की बेटी राम बाई के यहां बेटी पैदा हुई हैं। वे अपनी नातिन को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दिलाने पहुंची थीं। उनकी शिकायत थी कि आंगनवाड़ी वाले उसे चक्कर कटवा रहे हैं। धार के मानपुर का शंकरलाल झरिया केवल मुख्यमंत्री को देखने भोपाल आया था। उनका कहना था कि पिछली बार मुख्यमंत्री उनके जिले में आए थे। तब वे कई घोषणा कर गए थे। इनमें से ज्यादातर पूरी हो गई थी। इसी कारण वे उन्हें धन्यवाद देने आए हैं।
जबलपुर के पाटन से आए भैयालाल तिवारी मुख्यमंत्री को उनके वे वादे याद दिलाने आए थे तो मुख्यमंत्री ने जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान जबलपुर में किए थे। उनकी मांग थी मुख्यमंत्री उनके इलाके और जिले की सड़कों पर भी ध्यान दें। नरसिंहपुर के गोटेगांव का पन्नालाल राय अपने शिवराज मामा की एक झलक पाने की हसरत लिए भोपाल आया था। पिछली बार वह मुख्यमंत्री से आधी रात के वक्त गोटेगांव में मिला था। तब उसकी बात करने की हसरत पूरी नहीं हो पाई थी ,लेकिन उसने मुख्यमंत्री को नौकरी के लिए आवेदन दिया था। वह उसी आवेदन पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराना चाहता था। भैंसदेही का ललिता कुनबी चाहती थी कि मुख्यमंत्री एक बार फिर उनके कस्बे में आएं। जिससे कि वहां की सड़कों और पानी की व्यवस्था कुछ सुधर जाए। उनकी शिकायत थी कि अधिकारी शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
भीड़ में ज्यादातर लोग केवल मुख्यमंत्री से हाथ मिलाने, उनकी झलक देखने या फिर उनसे बात करने के इरादे से पहुंचे थे। 16 साल का किशोर हो या साठ साल का वृद्ध, सभी के शिवराज मामा थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात की होड़ में शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होते ही भीड़ ने सामने वाले बेरीकेड्स भी तोड़ डाले। वे मंच के पिछले हिस्से तक जा पहुंचे। जब शिवराज सिंह काफिले के साथ समारोह के बाद मुख्यमंत्री निवास के लिए निकले, तो उस समय भी लोग उनकी कार के साथ दौड़ने लगे। वे उनसे हाथ मिलाना और शक्ल दिखाना चाहते थे। इसी कारण उनकी सुरक्षा में लगे जवानों को समस्या का सामना करना पड़ा।

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