मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

मेए बचा हूए ...

मैं इसलिए बचा हूँक्योंकि मैं घर में बैठा हूँ.....यदि मैं भी वहाँ होता गेटवे या ताज पर तोआप सब मेरा शोक मना रहे होते।मैं इसलिए बचा हूँ क्योंकि मैंवहाँ नरीमन हाउस में नहीं थाओबरॉय में नहीं था जहाँ गोलियाँ चल रही थीं....जहाँ मौत का महौल था।मैं सच में केवल इसलिए बचा हूँ क्योंकिमैं बच-बच कर रह रहा हूँमैं बच-बच कर जीने का अभ्यासी हो गया हूँजब से पैदा हुआ यही सिखाया गयासब यही कहते पाए गए हैं कि बच के रहनाउधर नहीं जाना, उससे नहीं लड़नाघर में रहनासावधान रहनाअपना ध्यान रखना....और मैंघर में हूँअपना ध्यान रख रहा हूँकिसी से नहीं लड़ रहा हूँबच कर रह रहा हूँइसीलिए अब तकबचा हूँ। इसलिय बचा हूए..

अपनी कलम को हथियार बना



अपनी कलम को हथियार


बनाशब्दों में बारूद भरे


सोया समाज राख समान


उसमे कुछ आग लगे


दूसरी ओर ऐसे भी सोचते लोग मिले


बहुत दिनों से मैं जानना चाहता हूँ कि आख़िर ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्या बला है।क्या ये वाकई कोई पद है जिसका आधिकारिक रूप से सृजन किया गया है या फ़िर ये मीडिया प्रदत्त उपाधि है ।मैं जानना चाहता हूँ कि कोई एनकाउंटर का स्पेशलिस्ट कैसे हो सकता है? कैसे कोई लोगों को मारने का स्पेशलिस्ट हो सकता है। ये स्पेशलिस्ट लोगों को मारता कैसे है घातलगाकर या आमने सामने कि लड़ाई में या पकड़ कर मुहँ में पिस्टल ठूंस कर...........................

बस हमारे खेत तक पानी भिजवा दें शिवराज

भोपाल। समय - दोपहर पौने चार बजे
स्थान - राजधानी का जम्बूरी मैदान
दृश्य एक - भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे इशारे से सामने बेरीकेड्स के पीछे खड़े लोगों को इशारा कर आगे की खाली कुर्सियों की और आने को कहते हैं। बस फिर क्या था। मानो वहां हजारों की संख्या में जमा लोगों को इसी का इंतजार था। वे पुलिस की सख्ती और बेरीकेड्स के बंधन तोड़ आगे की और दौड़ते हैं। फिर जिसे जहां जगह मिलती है, वहां खड़े हो जाते हैं, जो भाग्यशाली होते हैं उन्हें कुर्सी मिल जाती है। अभी एसएएफ का एक जवान उन्हें पीछे हटाने के लिए डंडा उठाता ही है कि भीड़ में से एक साठ का वृद्ध आवाज लगाता है, बेटा एक बार शिवराज मामा को देखने तो दे, बस सिपाही का हाथ नीचे आ जाता है। ऐसे कई नजारे शुक्रवार को जंबूरी मैदान पर कई बार देखने को मिले।
भिंड जिले के अटेर से पहुंचे शिवेन्द्र सिंह तोमर मैदान में हाथ में कागज का एक पुलिंदा लिए घूम रहे थे। इसमें पहले पेज पर मुख्यमंत्री के लिए एक कविता लिखी गई थी, पीछे के पेज पर एक मांग पत्र था। उनका कहना था, बस ये शिवराज सिंह हमारे खेत तक पानी और पहुंचा दें हमारी जिंदगी सुधर जाए।
मुलताई निवासी गंगा बाई मस्कुले की बेटी राम बाई के यहां बेटी पैदा हुई हैं। वे अपनी नातिन को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दिलाने पहुंची थीं। उनकी शिकायत थी कि आंगनवाड़ी वाले उसे चक्कर कटवा रहे हैं। धार के मानपुर का शंकरलाल झरिया केवल मुख्यमंत्री को देखने भोपाल आया था। उनका कहना था कि पिछली बार मुख्यमंत्री उनके जिले में आए थे। तब वे कई घोषणा कर गए थे। इनमें से ज्यादातर पूरी हो गई थी। इसी कारण वे उन्हें धन्यवाद देने आए हैं।
जबलपुर के पाटन से आए भैयालाल तिवारी मुख्यमंत्री को उनके वे वादे याद दिलाने आए थे तो मुख्यमंत्री ने जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान जबलपुर में किए थे। उनकी मांग थी मुख्यमंत्री उनके इलाके और जिले की सड़कों पर भी ध्यान दें। नरसिंहपुर के गोटेगांव का पन्नालाल राय अपने शिवराज मामा की एक झलक पाने की हसरत लिए भोपाल आया था। पिछली बार वह मुख्यमंत्री से आधी रात के वक्त गोटेगांव में मिला था। तब उसकी बात करने की हसरत पूरी नहीं हो पाई थी ,लेकिन उसने मुख्यमंत्री को नौकरी के लिए आवेदन दिया था। वह उसी आवेदन पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराना चाहता था। भैंसदेही का ललिता कुनबी चाहती थी कि मुख्यमंत्री एक बार फिर उनके कस्बे में आएं। जिससे कि वहां की सड़कों और पानी की व्यवस्था कुछ सुधर जाए। उनकी शिकायत थी कि अधिकारी शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
भीड़ में ज्यादातर लोग केवल मुख्यमंत्री से हाथ मिलाने, उनकी झलक देखने या फिर उनसे बात करने के इरादे से पहुंचे थे। 16 साल का किशोर हो या साठ साल का वृद्ध, सभी के शिवराज मामा थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात की होड़ में शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होते ही भीड़ ने सामने वाले बेरीकेड्स भी तोड़ डाले। वे मंच के पिछले हिस्से तक जा पहुंचे। जब शिवराज सिंह काफिले के साथ समारोह के बाद मुख्यमंत्री निवास के लिए निकले, तो उस समय भी लोग उनकी कार के साथ दौड़ने लगे। वे उनसे हाथ मिलाना और शक्ल दिखाना चाहते थे। इसी कारण उनकी सुरक्षा में लगे जवानों को समस्या का सामना करना पड़ा।

जेल में कैदी पर ब्लेड से हमला

भोपाल। करोद स्थित देश की पहली आईएसओ केन्द्रीय जेल में एक कैदी ने दूसरे कैदी पर ब्लेड से हमला कर दिया। हमले के बाद उसने खुद भी अपनी गर्दन पर ब्लेड मार जान देने का प्रयास किया। दोनों की हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। जेल प्रशासन की शिकायत पर वारदात के दो दिन बाद गांधीनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक कैदी हरिकिशन मादक पदार्थो की तस्करी के मामले में जेल में बंद है। इसी जेल में कल्लू उर्फ चिकना उर्फ दिनेश पुत्र महेन्द्र मीणा (23) भी चोरी के मामले में बंद है। पिछले दिनों जेल में कल्लू और हरिकिशन के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। दोनों में जमकर लात-घूंसे चले थे। जेल प्रबंधन ने किसी तरह दोनों को अलग कर दिया था। 11 दिसंबर को एनडीपीएस कोर्ट में हरिकिशन की पेशी थी। प्रहरी लाल सिंह अहिरवार उसे अन्य कैदियों के साथ बाहर ला रहा था। जैसे ही हरिकिशन जेल के तीन नंबर गेट के सामने पहुंचा, वहां कल्लू पहले से खड़ा था। उसने हरिकिशन पर ब्लेड से हमला कर दिया। हरिकिशन के चेहरे और हाथ पर उसने कई वार किए। चीख पुकार सुन प्रहरी और अन्य कैदियों ने किसी तरह उसे पकड़ा तो आरोपी ने ब्लेड से खुद का हाथ और गला काट लिया। दोनों को आनन-फानन में जेल के अस्पताल में दाखिल करा दिया गया।
पहले तो जेल प्रबंधन मामले पर पर्दा डालने का प्रयास करता रहा। बाद में शनिवार को प्रबंधन ने गांधीनगर थाने में एक लिखित आवेदन दिया। इसके बाद रात में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने दोनों का मेडिकल भी कराया है।
खुली जेल की सुरक्षा की पोल: इस घटना ने जेल में सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है। पूरी तलाशी के बाद ही जेल में कैदियों को दाखिल होने दिया जाता है।
इसके बाद भी कल्लू के पास ब्लेड पहुंच गई और उसने हमला कर दिया। जेल प्रशासन का तर्क है कि तीन-चार माह पहले दाड़ी बनाने के दौरान कल्लू ने इस्तेमाल की हुई ब्लेड अपने पास छुपाकर रख ली थी। हमले में उसने इसी ब्लेड का इस्तेमाल किया।

शनिवार, 29 नवंबर 2008

आतंकवाद से निपटने के लिए सजगता जरुरी

भोपाल। मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने कहा कि आतंकवाद गंभीर चुनौती है। इससे मुकाबला करने में पुलिस के साथ लोगों को भी सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि दोनों आईपीएस अधिकारियों की शहादत से पुलिस बल को हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी। श्री राउत ने यह बात पुलिस मुख्यालय में आयोजित शोकसभा में कही।
शोकसभा में दो मिनट का मौन रखकर मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए पुलिस अफसरों और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। श्री राउत ने कहा कि पुलिस अफसरों की बहादुरी और शहादत अनुकरणीय है। मध्यप्रदेश आईपीएस एसोसिएशन ने एक बैठक बुलाकर हमले में शहीद हुए महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफसर हेमंत करकरे व अशोक कामटे को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्री करकरे 1982 और श्री कामटे 1989 के आईपीएस अफसर हैं। स्वर्गीय श्री करकरे के बैचमेट व मप्र ईओडब्ल्यू के महानिदेशक एसएस लाल तथा श्री कामटे के बैचमेट व आईजी मानव अधिकार आयोग सुशोभन बनर्जी ने शहीद हुए दोनों अफसरों के संस्मरण सुनाए।
इस मौके पर पुलिस मप्र आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष वीएम कंवर, मानव अधिकार आयोग के सदस्य विजय शुकुल, एडीजी विजय रमन, नंदन दुबे, सुरेंद्र सिंह, पीएल पांडे, एचके सरीन, विजय वाते व भोपाल आईजी डा. शैलेंद्र श्रीवास्तव मौजूद थे।

बॉस¢s Reaction

Beginning...
Boss - Be good, you will be fine






After a week... Must work hard man



After a month...
Must work very hard you know!



After a Quarter....
Can you hear me, you must work hard!!!





















एक खुबसूरत फोटो


फोटो ऑफ़ डे